यह मान्यता है कि सत्य को जानने, और अपनी सही जानकारी के लिए प्रत्येक हिन्दू को, अर्थ सहित अच्छी तरह समझ कर, जीवन में कम से कम एक बार, बाइबिल के old व सारे new Testaments, और कुरानशरीफ व अन्य सभी महत्वपूर्ण मज़हबों/पंथों के ग्रंथ अवश्य पढ़ने चाहियें। पढ़ कर उनकी तुलनात्मक विवेचना भी करनी चाहिए। तभी तो पता चलेगा कि इन में क्या लिखा है। कोई भी जानकारी प्रामाणिक होनी चाहिए, सुनी-सुनाई बातों से काम नहीं चलेगा। मैंने सभी का तुलनात्मक अध्ययन किया है।
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आज मैं मस्जिदों से दी जाने वाली अज़ान का उद्देश्य और अर्थ बता रहा हूँ| इस पर कोई भी प्रतिक्रिया अपने मन में ही रखें। मेरे फेसबुक पेज पर कोई नकारात्मक टिप्पणी न करें।
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रामदान (रमज़ान) का मुक़द्दस महीना चल रहा है (मंगलवार १३ अप्रेल २०२१ से बुधवार १२ मई २०२१)। मस्जिदों से अज़ान की बाँग दिन में पाँच बार ध्वनि-विस्तारक यंत्रों के माध्यम से बड़े जोर से दी जाती है। इस का अर्थ और उद्देश्य सभी को पता होना चाहिए। अज़ान इस तरह दी जाती है ---
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(१) अल्लाहु अकबर (चार बार)।
“अल्लाहु अकबर” का अर्थ होता है -- “अल्लाह महान है।"
(२) अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाह (दो बार)।
“अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाह” का अर्थ होता है “मैं गवाही देता हूँ; कोई उपास्य नहीं सिवाय अल्लाह के।”
(३) अशहदु अन्ना मुहमदन रसूल्लुल्लाह (दो बार)।
“अशहदु अन्ना मुहमदन रसूल्लुल्लाह” का अर्थ होता है “मैं गवाही देता हूँ; मुहम्मद साहब ही अल्लाह के रसूल (दूत) हैं।“
(४) हैया ‘अल-सलाह (दो बार)।
“हैया ‘अल-सलाह” का अर्थ होता है “आओ नमाज़ की तरफ़।“
(५) हैया ‘अलल फ़लाह (दो बार)।
“हैया ‘अलल फ़लाह” का अर्थ होता है “आओ सफ़लता की ओर।“
(६) अल्लाहु अकबर (दो बार)।
“अल्लाहु अकबर” का अर्थ होता है -- “अल्लाह महान है।"
(७) ला इलाहा इल्लल्लाह (एक बार)
“ला इलाहा इल्लल्लाह” का अर्थ होता है “कोई उपास्य नहीं सिवाय अल्लाह के।“
पुनश्च: --- सुबह की पहली नमाज़ में एक पंक्ति अधिक जोडते हैं शायद -- "अस्सलातु खैरूम मिनन्नउम्" अर्थात् - "सोने से अच्छा प्रार्थना करना है।" इसका मुझे ठीक से पता नहीं है।
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मेरा एकमात्र उद्देश्य किसी भी तथ्य को यथावत् बताना है, किसी की भी प्रशंसा या निंदा करना नहीं। धन्यवाद !! मेरे लिखने मे कोई भूल हुई है तो मनीषी लोग मुझे क्षमा करें।
२४ अप्रैल २०२१
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