Saturday 23 April 2022

हे प्रभु, अब इसी समय मुझे आपकी सहायता की आवश्यकता है ---

 हे प्रभु, अब इसी समय मुझे आपकी सहायता की आवश्यकता है। कुछ परेशानियों में फंस कर असहाय हो गया हूँ। अन्य कोई है भी नहीं, जो मेरी सहायता कर सके। मेरी माँगें आपको माननी ही पड़ेंगी (आप वचनबद्ध हैं) ---

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(१) मैं किसी भी तरह की साधना/उपासना, और आपका निरंतर स्मरण करने में असमर्थ हूँ। सारे प्रयास विफल हो गए हैं। जन्म-जन्मांतरों तक भटकने की कोई आकांक्षा नहीं है। अभीप्सा की अग्नि बहुत अधिक कष्ट दे रही है। इसी क्षण से अब मेरे माध्यम से आप स्वयं ही अपने स्वयं का स्मरण, ध्यान, व साधना/उपासना आदि सब करोगे। आपकी एक भी श्वास व्यर्थ नहीं जानी चाहिए। हर श्वास पर आप अपना स्मरण करोगे। जो कुछ भी है, वह आप ही हैं, मैं नहीं। यह पृथकता का मिथ्या बोध समाप्त हो।
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(२) आपका दिया हुआ यह अन्तःकरण (मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार) मेरे लिए अब फालतू का सामान हो गया है, इसका बोझ अब और नहीं ढो सकता, अतः इसे तुरंत बापस ले लो। कभी माँगूँ तो भी बापस मत देना। मुझे इसी क्षण जीवनमुक्त कर अपने साथ एक करो। किसी कामना का जन्म ही न हो।
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और कुछ भी नहीं चाहिए। मैं स्वयं ही पथ हूँ, और स्वयं ही लक्ष्य हूँ। मैं स्वयं ही अनंत और उस से भी परे का अस्तित्व हूँ। मेरे अस्तित्व का अंत आप हैं, कोई या कुछ भी अन्य नहीं। जो आप हैं वह ही मैं हूँ।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ अप्रेल २०२२

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