हम मानसिक दास क्यों बन जाते हैं? मानसिक दासता एक बड़ी दुःखद स्थिति है, जिसका कारण -- राग और द्वेष हैं। गीता में इस विषय पर बड़ा स्पष्ट मार्गदर्शन है। भगवान हमें वीतराग होकर स्थितप्रज्ञ और निःस्पृह होने का उपदेश और आदेश देते हैं।
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लेकिन उपासना तो स्वयं को ही करनी पड़ेगी। पूर्ण भक्ति से ऊर्जादायी व्यायाम, अजपा-जप (हंसः योग), नादानुसंधान, क्रिया योग, ज्योतिर्मय ब्रह्म के ध्यान, निरंतर स्मरण आदि से ऊर्जा, उत्साह, प्राणशक्ति, व सुख-शान्ति मिलती है, जो अन्यत्र कहीं भी नहीं है। उनमें चित्त निरंतर लगा रहे। ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
१५ अप्रेल २०२२
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