Friday 2 February 2018

भगवान हैं, यहीं हैं, अभी हैं, और सदा ही रहेंगे .....

भगवान हैं, यहीं हैं, अभी हैं, और सदा ही रहेंगे .....
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भगवान का और मेरा साथ शाश्वत है| वे निरंतर मेरे साथ हैं, पल भर के लिए भी कभी मुझ से पृथक नहीं हुए हैं| सारी सृष्टि ही भगवान से अभिन्न है, मैं भी भगवान से अभिन्न हूँ| भगवान ही है जो यह "मैं" बन गए हैं| मैं यह देह नहीं बल्कि एक सर्वव्यापी शाश्वत आत्मा हूँ, भगवान का ही अंश और अमृतपुत्र हूँ| अयमात्मा ब्रह्म| जैसे जल की एक बूँद महासागर में मिल कर स्वयं भी महासागर ही बन जाती है, कहीं कोई भेद नहीं होता, वैसे ही भगवान में समर्पित होकर मैं स्वयं भी उनके साथ एक हूँ, कहीं कोई भेद नहीं है|
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जिसे मैं सदा ढूँढ रहा था, जिसको पाने के लिए मैं सदा व्याकुल था, जिसके लिए मेरे ह्रदय में सदा एक प्रचंड अग्नि जल रही थी, जिस के लिए एक अतृप्त प्यास ने सदा तड़फा रखा था, वह तो मैं स्वयं ही हूँ| उसे देखने के लिए, उसे अनुभूत करने के लिए और उसे जानने या समझने के लिए कुछ तो दूरी होनी चाहिए| पर वह तो निकटतम से भी निकट है, अतः उसका कुछ भी आभास नहीं होता, वह मैं स्वयं ही हूँ|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२४ जनवरी २०१८

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