युगपुरुष राजनेता मोहनदास करमचंद गाँधी जी की पुण्यतिथि पर मैं उनको पूर्ण सम्मान के साथ श्रद्धांजलि देता हूँ| इस तरह के युग पुरुष पृथ्वी पर बहुत कम जन्म लेते हैं| साथ साथ पुणे के उन छः हज़ार के लगभग निर्दोष ब्राह्मणों को भी मैं श्रद्धांजलि देता हूँ जिनकी ह्त्या गाँधी जी की ह्त्या की प्रतिक्रया स्वरुप अगले तीन दिनों में कोंग्रेसियों द्वारा कर दी गयी थी| पुणे की गलियों में चारपाई डालकर सो रहे निर्दोष ब्राह्मणों पर किरोसिन तेल डालकर उन्हें जीवित जला दिया गया| पुणे में ब्रहामणों को घरों से निकाल निकाल कर सड़कों पर घसीट घसीट कर उनकी सामूहिक हत्याएँ की गयी| लगभग छः हज़ार निर्दोष ब्राह्मणों की ह्त्या की गयी| उस घटना की कोई जाँच नहीं हुई और घटना को दबा दिया गया| उन ब्राह्मणों का दोष इतना ही था नाथूराम गोड़से एक ब्राह्मण थे वह भी पुणे के|
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उस जमाने के लोग कहते थे कि गाँधी जी कांग्रेस को भंग करना चाहते थे जिसके लिए जवाहरलाल नेहरु सहमत नहीं थे| गाँधी जी की आर्थिक नीतियाँ भी नेहरू की नीतियों के विरुद्ध थीं| गाँधी की सुरक्षा व्यवस्था क्यों हटा ली गयी थी? क्या इसीलिए कि वे उस समय किसी के लिए किसी काम के नहीं रह गए थे? नाथूराम गोडसे को पिस्तौल और गोलियाँ किसने दीं? किसने उसे ह्त्या करने के लिए उकसाया? गांधीजी की ह्त्या के बाद उनके शरीर का पोस्ट मार्टम क्यों नहीं करवाया गया? ऐसे कई अनुत्तरित प्रश्न हैं|
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क्या किसी ने एक तीर से कई शिकार तो नहीं किये ....गांधी जी को भी मार्ग से हटवा दिया, और आरएसएस पर भी प्रतिबन्ध लगवा दिया, पुणे के राजनीति में सक्रीय ब्राह्मणों को भी मरवा दिया, और हिन्दुओं को भी बदनाम करवा दिया? क्या इसके पीछे कोई बहुत बड़ा षडयंत्र तो नहीं था?
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गाँधी की नीतियों व विचारों से महर्षि श्रीअरविन्द बिलकुल भी सहमत नहीं थे| उन्होंने गाँधी के बारे में लिखा था कि गाँधी की नीतियाँ एक बहुत बड़े भ्रम और विनाश को जन्म देंगी, जो सत्य सिद्ध हुआ| महर्षि श्रीअरविद के वे लेख नेट पर उपलब्ध हैं| कृपया उन्हें पढ़ें|
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गाँधी द्वारा आरम्भ खिलाफत आन्दोलन जो तुर्की के खलीफा को बापस गद्दीनशीन करने के लिए था, का क्या औचित्य था? क्या यह तुष्टिकरण की पराकाष्ठा नहीं थी? क्या इससे पकिस्तान की नींव नहीं पड़ी? राजनितिक व सामाजिक रूप से गांधीजी का पुनर्मूल्यांकन क्या आवश्यक नहीं है? गांधीजी भारत के तो नहीं पर पाकिस्तान के राष्ट्रपिता अवश्य थे| पाकिस्तान की नींव ही उनके खिलाफत आन्दोलन से पड़ी|
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गांधीजी द्वारा किया गया सबसे महान कार्य था ..... नेतृत्वहीन भारत का नेतृत्व करना और बिहार में चंपारण का सत्याग्रह| गांधीजी एक राजनेता थे, कोई महात्मा नहीं| उनमें अत्यधिक कामुकता जैसी सभी मानवी दुर्बलताएँ थीं| वे आदर्श नहीं हो सकते| उनको राष्ट्रपिता कहना गलत है, क्या गाँधीजी से पूर्व भारत एक राष्ट्र नहीं था? आजकल पढ़ाया जाता है कि अंग्रेजों से पूर्व भारत नहीं था, छोटे छोटे राज्य थे| यह गलत है| सम्राट अशोक व समुद्रगुप्त जैसे राजाओं के राज्य में भारत की सीमाएँ अंग्रेजों द्वारा शासित भारत से भी अधिक विशाल थीं|
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श्रद्धांजली | वन्दे मातरं | भारत माता की जय |
कृपा शंकर
३० जनवरी २०१७
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उस जमाने के लोग कहते थे कि गाँधी जी कांग्रेस को भंग करना चाहते थे जिसके लिए जवाहरलाल नेहरु सहमत नहीं थे| गाँधी जी की आर्थिक नीतियाँ भी नेहरू की नीतियों के विरुद्ध थीं| गाँधी की सुरक्षा व्यवस्था क्यों हटा ली गयी थी? क्या इसीलिए कि वे उस समय किसी के लिए किसी काम के नहीं रह गए थे? नाथूराम गोडसे को पिस्तौल और गोलियाँ किसने दीं? किसने उसे ह्त्या करने के लिए उकसाया? गांधीजी की ह्त्या के बाद उनके शरीर का पोस्ट मार्टम क्यों नहीं करवाया गया? ऐसे कई अनुत्तरित प्रश्न हैं|
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क्या किसी ने एक तीर से कई शिकार तो नहीं किये ....गांधी जी को भी मार्ग से हटवा दिया, और आरएसएस पर भी प्रतिबन्ध लगवा दिया, पुणे के राजनीति में सक्रीय ब्राह्मणों को भी मरवा दिया, और हिन्दुओं को भी बदनाम करवा दिया? क्या इसके पीछे कोई बहुत बड़ा षडयंत्र तो नहीं था?
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गाँधी की नीतियों व विचारों से महर्षि श्रीअरविन्द बिलकुल भी सहमत नहीं थे| उन्होंने गाँधी के बारे में लिखा था कि गाँधी की नीतियाँ एक बहुत बड़े भ्रम और विनाश को जन्म देंगी, जो सत्य सिद्ध हुआ| महर्षि श्रीअरविद के वे लेख नेट पर उपलब्ध हैं| कृपया उन्हें पढ़ें|
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गाँधी द्वारा आरम्भ खिलाफत आन्दोलन जो तुर्की के खलीफा को बापस गद्दीनशीन करने के लिए था, का क्या औचित्य था? क्या यह तुष्टिकरण की पराकाष्ठा नहीं थी? क्या इससे पकिस्तान की नींव नहीं पड़ी? राजनितिक व सामाजिक रूप से गांधीजी का पुनर्मूल्यांकन क्या आवश्यक नहीं है? गांधीजी भारत के तो नहीं पर पाकिस्तान के राष्ट्रपिता अवश्य थे| पाकिस्तान की नींव ही उनके खिलाफत आन्दोलन से पड़ी|
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गांधीजी द्वारा किया गया सबसे महान कार्य था ..... नेतृत्वहीन भारत का नेतृत्व करना और बिहार में चंपारण का सत्याग्रह| गांधीजी एक राजनेता थे, कोई महात्मा नहीं| उनमें अत्यधिक कामुकता जैसी सभी मानवी दुर्बलताएँ थीं| वे आदर्श नहीं हो सकते| उनको राष्ट्रपिता कहना गलत है, क्या गाँधीजी से पूर्व भारत एक राष्ट्र नहीं था? आजकल पढ़ाया जाता है कि अंग्रेजों से पूर्व भारत नहीं था, छोटे छोटे राज्य थे| यह गलत है| सम्राट अशोक व समुद्रगुप्त जैसे राजाओं के राज्य में भारत की सीमाएँ अंग्रेजों द्वारा शासित भारत से भी अधिक विशाल थीं|
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श्रद्धांजली | वन्दे मातरं | भारत माता की जय |
कृपा शंकर
३० जनवरी २०१७
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