Friday 2 February 2018

उस चैतन्य की सत्ता के साथ मैं एक हूँ, उस से परे सिर्फ माया है .....

जैसे जैसे मैं अपने आध्यात्म मार्ग पर आगे बढ़ रहा हूँ, निज चेतना से द्वैत की भावना शनैः शनैः समाप्त हो रही है| जड़ और चेतन में अब कोई भेद नहीं दिखाई देता| अब तो कुछ भी जड़ नहीं है, सारी सृष्टि ही परमात्मा से चेतन है| कण कण में परमात्मा की अभिव्यक्ति है| इस भौतिक संसार की रचना जिस ऊर्जा से हुई है, उस ऊर्जा का हर कण, हर खंड और हर प्रवाह परमात्मा की ही अभिव्यक्ति है| 
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वर्त्तमान में संसार के जितने भी मत-मतान्तर व मज़हब हैं, उन सब से परे श्रुति भगवती का कथन है ..... "सर्वं खल्विदं ब्रह्म तज्जलानिति शान्त उपासीत | अथ खलु क्रतुमयः पुरुषो यथाक्रतुरस्मिँल्लोके पुरुषो भवति तथेतः प्रेत्य भवति स क्रतुं कुर्वीत ||छान्दोग्योपनिषद्.३.१४.१||
अर्थात यह ब्रह्म ही सबकुछ है| यह समस्त संसार उत्पत्तिकाल में इसी से उत्पन्न हुआ है, स्थिति काल में इसी से प्राण रूप अर्थात जीवित है और अनंतकाल में इसी में लीन हो जायेगा| ऐसा ही जान कर उपासक शांतचित्त और रागद्वेष रहित होकर परब्रह्म की सदा उपासना करे| जो मृत्यु के पूर्व जैसी उपासना करता है, वह जन्मांतर में वैसा ही हो जाता है|
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कुछ भी मुझ से परे नहीं है| मेरे मन से ही मेरी यह सृष्टि है| मेरा मन ही मेरे बंधन का कारण है और यही मेरे मोक्ष का कारण होगा| उस चैतन्य की सत्ता के साथ मैं एक हूँ, उस से परे सिर्फ माया है| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!


कृपा शंकर
२९ जनवरी २०१८

2 comments:

  1. हमारी चेतना, हमारी सोच, हमारा हर विचार इस सृष्टि में अपना प्रभाव छोड़ता है| यह संसार एक बगीचे की तरह है, जहाँ के पुष्प हम हैं| पुष्प खिलता है सूर्य के प्रकाश में| परमात्मा की उपस्थिति का सूर्य निरंतर हमारे कूटस्थ चैतन्य में चमकता रहे और हमारे ह्रदय की भक्ति रूपी पंखुड़ियों को खोल दे| फिर इस पुष्प की सुगंध सर्वत्र फ़ैल जायेगी| ॐ ॐ ॐ !!

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  2. एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि विश्व की चेतना ऊपर उठ रही है| पहले लोगों को पता ही नहीं चलता था कि कहाँ पर क्या हो रहा है| समाचार मिलने के साधन ही नहीं थे| किसी भी घटना का पता महीनों या वर्षों के बाद चलता था| अब तो तुरंत सब को पता चल जाता है कि विश्व के किस कोने में क्या हो रहा है| कोई भी बात आज के इस युग में छिपी नहीं रह सकती| बुराइयाँ पहले अधिक थीं, अब कम हो रही हैं| पहले पता नहीं चलता था, अब सब पता चल जाता है| अतः जो भी होगा वह अच्छे के लिए होगा| अनेक सूचना क्रांतियाँ तो मेरे इस जीवन काल में ही मैं देख चुका हूँ| उपग्रह संचार प्रणाली ने विश्व की दूरियाँ कम कर दी हैं|
    ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!

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