Friday 2 February 2018

संत रविदास जयंती .....

आज रविदास जयंती पर सभी का अभिनन्दन और अनंत कोटि शुभ कामनाएँ .....
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संत रविदास को संत रैदास भी कहा जाता है| वे स्वामी रामानंद के प्रमुख बारह शिष्यों में से एक थे| स्वामी रामानंद ने एक ऐसे समय में जन्म लिया था जब सनातन धर्म और भारतवर्ष विदेशी आक्रान्ताओं से पददलित था और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा था| स्वामी रामानंद ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए उत्तरी भारत में भक्तियुग का आरम्भ कर रामभक्ति का द्वार सबके लिए सुलभ कर दिया| उन्होंने अनंतानंद, भावानंद, पीपा, सेन, धन्ना, नाभा दास, नरहर्यानंद, सुखानंद, कबीर, रैदास, सुरसरी, और पदमावती जैसे बारह लोगों को अपना प्रमुख शिष्य बनाया, जिन्हे द्वादश महाभागवत के नाम से जाना जाता है| इनमें कबीर दास और रैदास आगे चलकर बहुत प्रसिद्ध हुए जिन्होनें निर्गुण राम की उपासना की| स्वामी रामानंद का कहना था कि "जात-पात पूछे न कोई, हरि को भजे सो हरि का होई"|
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स्वामी रामानंद के शिष्य संत कवि रविदास (रैदास) का जन्म वाराणसी के पास एक गाँव में माघ पूर्णिमा के दिन रविवार को हुआ था| रविवार को जन्म लेने के कारण इनके माता-पिता ने इनका नाम रविदास रखा| चर्मकार का काम उनका पैतृक व्यवसाय था जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया| अपने कार्य को ये बहुत लगन से किया करते थे| इनका व्यवहार बहुत ही मधुर था| उनकी भक्ति इतनी प्रखर थी कि मेवाड़ की महारानी भक्तिमती महान संत मीराबाई ने भी उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु माना|
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संत रविदास को जीवन में अनेक बड़े से बड़े प्रलोभन और भय दिए गए पर वे अपनी निष्ठा पर सदा अडिग रहे| इनके ज्ञान और तेजस्विता से तत्कालीन समाज बहुत अधिक लाभान्वित हुआ| गुरु ग्रन्थ साहिब में भी उन की अनेक वाणियाँ संकलित हैं|
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उनका एक भजन यहाँ उदधृत कर रहा हूँ .....
"प्रभुजी तुम चंदन हम पानी |
जाकी अंग अंग वास समानी ||
प्रभुजी तुम घन वन हम मोरा |
जैसे चितवत चन्द्र चकोरा ||
प्रभुजी तुम दीपक हम बाती |
जाकी जोति बरै दिन राती ||
प्रभुजी तुम मोती हम धागा |
जैसे सोनहि मिलत सुहागा ||
प्रभुजी तुम स्वामी हम दासा |
ऐसी भक्ति करै रैदासा" ||
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ऐसे महान संत को कोटि कोटि नमन !
ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३१ जनवरी २०१८

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