शैतान क्या है ?
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शैतान (Satan या Devil) की परिकल्पना इब्राहिमी (Abrahamic) मजहबों (यहूदी, इस्लाम और ईसाईयत) की है| भारत में उत्पन्न किसी भी मत में शैतान की परिकल्पना नहीं है| शैतान .... इब्राहिमी मज़हबों में सबसे दुष्ट हस्ती का नाम है, जो दुनियाँ की सारी बुराई का प्रतीक है| इन मज़हबों में ईश्वर को सारी अच्छाई प्रदान की जाती है और बुराई शैतान को|
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हिन्दू परम्परा में शैतान जैसी चीज़ का कोई अस्तित्व नहीं है, क्योंकि हिन्दू मान्यता कहती है कि मनुष्य अज्ञान वश पाप करता है जो दुःखों की सृष्टि करते हैं| इब्राहिमी मतों के अनुसार शैतान पहले ईश्वर का एक फ़रिश्ता था, जिसने ईश्वर से ग़द्दारी की और इसके बदले ईश्वर ने उसे स्वर्ग से निकाल दिया| शैतान पृथ्वी पर मानवों को पाप के लिये उकसाता है|
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ईसाई मत में शैतान बुराई की व्यक्तिगत सत्ता का नाम है, जिसको पतित देवदूत. ईश्वर विरोधी दुष्ट, प्राचीन सर्प आदि कहा गया है| जहाँ ईसा मसीह अथवा उनके शिष्य जाते थे वहाँ वह अधिक सक्रिय हो जाता था क्योंकि ईसा मसीह उसको एक दिन पराजित करेंगे और उसका प्रभुत्व मिटा देंगे| अंततोगत्वा वह सदा के लिए नर्क में डाल दिया जाएगा|
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जिन हिन्दू संतों और विद्वानों ने ईसा मसीह और उनकी शिक्षाओं पर लेख लिखे हैं, उन्होंने मनुष्य की "काम वासना" को ही शैतान बताया है|
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सार की बात यह है कि अपना भटका हुआ, अतृप्त अशांत मन ही शैतान है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३० जनवरी २०१८
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शैतान (Satan या Devil) की परिकल्पना इब्राहिमी (Abrahamic) मजहबों (यहूदी, इस्लाम और ईसाईयत) की है| भारत में उत्पन्न किसी भी मत में शैतान की परिकल्पना नहीं है| शैतान .... इब्राहिमी मज़हबों में सबसे दुष्ट हस्ती का नाम है, जो दुनियाँ की सारी बुराई का प्रतीक है| इन मज़हबों में ईश्वर को सारी अच्छाई प्रदान की जाती है और बुराई शैतान को|
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हिन्दू परम्परा में शैतान जैसी चीज़ का कोई अस्तित्व नहीं है, क्योंकि हिन्दू मान्यता कहती है कि मनुष्य अज्ञान वश पाप करता है जो दुःखों की सृष्टि करते हैं| इब्राहिमी मतों के अनुसार शैतान पहले ईश्वर का एक फ़रिश्ता था, जिसने ईश्वर से ग़द्दारी की और इसके बदले ईश्वर ने उसे स्वर्ग से निकाल दिया| शैतान पृथ्वी पर मानवों को पाप के लिये उकसाता है|
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ईसाई मत में शैतान बुराई की व्यक्तिगत सत्ता का नाम है, जिसको पतित देवदूत. ईश्वर विरोधी दुष्ट, प्राचीन सर्प आदि कहा गया है| जहाँ ईसा मसीह अथवा उनके शिष्य जाते थे वहाँ वह अधिक सक्रिय हो जाता था क्योंकि ईसा मसीह उसको एक दिन पराजित करेंगे और उसका प्रभुत्व मिटा देंगे| अंततोगत्वा वह सदा के लिए नर्क में डाल दिया जाएगा|
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जिन हिन्दू संतों और विद्वानों ने ईसा मसीह और उनकी शिक्षाओं पर लेख लिखे हैं, उन्होंने मनुष्य की "काम वासना" को ही शैतान बताया है|
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सार की बात यह है कि अपना भटका हुआ, अतृप्त अशांत मन ही शैतान है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३० जनवरी २०१८
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