Friday 2 February 2018

देश की वर्तमान आर्थिक व्यवस्था के बारे में मेरी सोच .....

देश की वर्तमान आर्थिक व्यवस्था के बारे में एक सामान्य से सामान्य राष्ट्रवादी नागरिक की सोच .....
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(१) भारत के वर्तमान शासन की घोषित आर्थिक नीतियाँ पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद सिद्धान्त के अनुकूल ही होनी चाहिए| कई क्षेत्रों में हम चीन पर पूर्णतः निर्भर हैं| विगत सरकारों की नीतियों के कारण उद्योगपतियों ने स्वयं उत्पादन न कर, चीन से आयात कर के विक्रय करना अधिक लाभप्रद समझा| इसीलिए चीनी सामान इतना सस्ता और अच्छा आता है| चीनी सामान का बहिष्कार असंभव है| इलेक्ट्रॉनिक्स व मशीनों के पुर्जों के लिए हम चीन पर पूरी तरह निर्भर हैं| बिना चीनी कल पूर्जों के हमारा काम चल ही नहीं सकता| हमें अपनी आवश्यकता का सामान स्वयं उत्पादित करना चाहिए, ताकि चीन से आयात न करना पड़े|
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(२) शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कार्य होने चाहियें जो वर्तमान में नहीं हो रहे हैं| वामपंथियों का प्रभाव न्यूनतम या शून्य किया जाना चाहिए| शैक्षणिक संस्थानों से मैकॉले के मानसपुत्रों को बाहर करना चाहिए| देश का असली विकास देश के नागरिकों का चरित्रवान और निष्ठावान होना है| शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो जिस से देश का नागरिक ईमानदार बने, चरित्रवान और देशभक्त बने| पढाई का स्तर विश्व स्तरीय हो|
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(३) भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन पर पूरा अंकुश होना चाहिए| बाजार में अच्छे से अच्छा सामान उपलब्ध होना चाहिए| देशी उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए| कश्मीरियों को दी जा रही वर्तमान आर्थिक छूट बंद की जानी चाहिए|
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(४) भारत में नौकरशाही द्वारा हर कार्य करवाने की बजाय उस क्षेत्र के विशेषज्ञों को रखा जाय| हर क्षेत्र में उस क्षेत्र के विशेषज्ञ ही हों| मंत्रीगण भी अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ हों| संविधान में संशोधन कर के ऐसी व्यवस्था की जाए| मेरे विचार से देश के वित्तमंत्री डॉ.सुब्रह्मण्यम स्वामी और रक्षामंत्री जनरल वी के सिंह को बनाना चाहिए था| पर यह तो प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है कि वे किसे क्या बनाएँ और किसे क्या नहीं| वे भी उसी को बनायेंगे जो उनके अनुकूल हो|
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वन्दे मातरम् ! भारतमाता की जय ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२ फरवरी २०१८

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