मैं जो कुछ भी भगवान के बारे में सोचता हूँ और लिखता हूँ, वह मेरा स्वयं के साथ ही एक सत्संग और मनोरंजन है| जीवन में इस मन ने बहुत अधिक भटकाया है| अब यह पूरी तरह भगवान में लग गया है, और निरंतर लगा रहे इसी उद्देश्य से लिखना होता रहता है| मैं किसी अन्य के लिए नहीं, स्वयं के लिए ही लिखता हूँ| किसी को अच्छा लगे तो ठीक है, नहीं लगे तो भी ठीक है| किसी को अच्छा नहीं लगे तो उनके पास मुझे Unfriend और Block करने का विकल्प है| सभी को सप्रेम सादर नमन!
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मेरा लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति है, अन्य कुछ भी नहीं| यह शरीर रहे या न रहे, इस से भी कोई मतलब नहीं है| बस अंत समय में परमात्मा की चेतना में सचेतन देह-त्याग हो|
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कुछ पाने की इच्छा नहीं है जब पूर्ण रूप से परमात्मा को समर्पित ही होना है| सिर्फ ऐसे ही लोगों का साथ चाहिए जिनके ह्रदय में परमात्मा को पाने की एक गहन अभीप्सा है|
आगे का मार्गदर्शन मुझे गुरुकृपा से प्राप्त है| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२४ जनवरी २018