Friday, 2 February 2018

स्वयं के साथ ही एक सत्संग और मनोरंजन .....


मैं जो कुछ भी भगवान के बारे में सोचता हूँ और लिखता हूँ, वह मेरा स्वयं के साथ ही एक सत्संग और मनोरंजन है| जीवन में इस मन ने बहुत अधिक भटकाया है| अब यह पूरी तरह भगवान में लग गया है, और निरंतर लगा रहे इसी उद्देश्य से लिखना होता रहता है| मैं किसी अन्य के लिए नहीं, स्वयं के लिए ही लिखता हूँ| किसी को अच्छा लगे तो ठीक है, नहीं लगे तो भी ठीक है| किसी को अच्छा नहीं लगे तो उनके पास मुझे Unfriend और Block करने का विकल्प है| सभी को सप्रेम सादर नमन! 
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  1. जिन्हें परमात्मा से प्यार नहीं है ऐसे लोगों से मुझे भी कोई लेना देना नहीं है| उन से मैं किसी भी तरह का कोई संपर्क नहीं रखना चाहता| आजकल के ध्यान साधक, ध्यान साधना का इसलिए अभ्यास करते हैं कि इस से उन्हें तनाव से मुक्ति, अच्छा स्वास्थ्य और शांति मिलेगी| मेरा ऐसे साधकों से भी कोई लेना देना नहीं है, और न ही उन्हें सिखाने वाले योग गुरुओं से|
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    मेरा लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति है, अन्य कुछ भी नहीं| यह शरीर रहे या न रहे, इस से भी कोई मतलब नहीं है| बस अंत समय में परमात्मा की चेतना में सचेतन देह-त्याग हो|
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    कुछ पाने की इच्छा नहीं है जब पूर्ण रूप से परमात्मा को समर्पित ही होना है| सिर्फ ऐसे ही लोगों का साथ चाहिए जिनके ह्रदय में परमात्मा को पाने की एक गहन अभीप्सा है|

    आगे का मार्गदर्शन मुझे गुरुकृपा से प्राप्त है| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
    कृपा शंकर
    २४ जनवरी २018

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