गुरु चरणों में आश्रय और सच्ची गुरु दक्षिणा .....
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गुरु तो वे हैं जो सब प्रकार का अज्ञानान्धकार दूर करते हैं| वे सब नाम-रूपों से परे हैं| अंततः वे एक अनुभूति हैं, कूटस्थ ब्रह्म हैं|
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सहस्त्रार में सहस्त्रदल कमल में परम ज्योतिर्मय गुरु का निरंतर ध्यान ही सर्वश्रेष्ठ गुरु-दक्षिणा है| हमारे सर्वस्व पर सिर्फ उन्हीं का अधिकार है| वे ही इस देह रूपी नौका के कर्णधार हैं| सहस्त्रार में उनकी चेतना में निरंतर बने रहना ही वास्तव में गुरु-चरणों में आश्रय है|
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गुरु तो वे हैं जो सब प्रकार का अज्ञानान्धकार दूर करते हैं| वे सब नाम-रूपों से परे हैं| अंततः वे एक अनुभूति हैं, कूटस्थ ब्रह्म हैं|
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सहस्त्रार में सहस्त्रदल कमल में परम ज्योतिर्मय गुरु का निरंतर ध्यान ही सर्वश्रेष्ठ गुरु-दक्षिणा है| हमारे सर्वस्व पर सिर्फ उन्हीं का अधिकार है| वे ही इस देह रूपी नौका के कर्णधार हैं| सहस्त्रार में उनकी चेतना में निरंतर बने रहना ही वास्तव में गुरु-चरणों में आश्रय है|
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ॐ गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ !
ॐ गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ !
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