Thursday 23 June 2016

यह संसार ऐसे ही चलता रहेगा ..........

यह संसार ऐसे ही चलता रहेगा ..........
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हमारी इस लोकयात्रा का आरम्भ परमात्मा से हुआ है, और अंत भी परमात्मा में ही होगा| प्रभु की यही इच्छा है, और उनकी इस लीला का उद्देश्य भी यही है|
हमारा अस्तित्व सिर्फ दो कारणों से है ......
(1) पहला कारण है ----- परमात्मा की इच्छा |
(2) दूसरा कारण है ----- पूर्व जन्म के कर्मफलों को भोगने की बाध्यता|
अन्य कोई कारण नहीं हो सकता|
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अपने ह्रदय से पूछें कि हमारा यहाँ अस्तित्व क्यों है, हमारा कर्तव्य और दायीत्व क्या है| ह्रदय सदा सही उत्तर देगा| बुद्धि भ्रमित कर सकती है पर ह्रदय नहीं| हृदय कभी झूठ नहीं बोलता|
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मृत्यु अंतिम सत्य नहीं है| मृत्यु का कोई अस्तित्व नहीं है| सब एक रूपान्तरण है|
अनेक रहस्य हैं जो बुद्धि द्वारा अगम हैं|
सब अतृप्त वासनाओं और अपूर्ण संकल्पों से पुनर्जन्म होता है|
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फिर हम मुक्त कैसे हों ?
>>> परम प्रेम यानि पूर्ण भक्ति को जागृत कर गहन ध्यान साधना द्वारा परमात्मा की शरणागति और समर्पण ही जीवन के उद्देश्य को पूर्ण कर आवागमन से मुक्ति प्रदान कर सकता है|
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यह एक ऐसा रहस्य है जिसको समझना बुद्धि से परे है| पर भगवान ने गहन जिज्ञासा दी है अतः सोचना ही पड़ता है| कुछ रहस्य ऐसे हैं जिन्हें सृष्टिकर्ता ही जानता है| अतः प्रेमपूर्वक शरणागति, समर्पण और भक्ति के अतिरिक्त और कुछ भी हमारी तो समझ से परे है| हे प्रभु, आपकी इच्छा पूर्ण हो|
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किन्हीं अनजान लोगों ने स्वामी रामतीर्थ से पूछाः
"आप देवों के देव हैं ?"
"हाँ|"
"आप ईश्वर हैं ?"
"हाँ, मैं ईश्वर हूँ.... ब्रह्म हूँ|"
"सूरज, चाँद, तारे आपने बनाये ?"
"हाँ, जब से हमने बनाये हैं तबसे हमारी आज्ञा में चल रहे हैं|"
"आप तो अभी आये| आप की उम्र तो तीस-इक्कतीस साल की है |"
"तुम इस विषय में बालक हो| मेरी उम्र कभी हो नहीं सकती| मेरा जन्म ही नहीं तो मेरी उम्र कैसे हो सकती है ? जन्म इस शरीर का हुआ| मेरा कभी जन्म नहीं हुआ|"
न मे मृत्युशंका न में जातिभेदः
पिता नैव मे नैव माता न जन्मः|
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्यः
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ||
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ नमः शिवाय | शिवोहं शिवोहं अयमात्माब्र्ह्म ||
ॐ ॐ ॐ ||
कृपाशंकर‬ 22June2016‬

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