Sunday 11 June 2017

रस्सी खींची गयी| पं.रामप्रसाद जी फाँसी पर लटक गये .....

फाँसी पर ले जाते समय बड़े जोर से कहा ........"वन्दे मातरम ! भारतमाता की जय !"
......... और शान्ति से चलते हुए कहा ...........
"मालिक तेरी रज़ा रहे और तू ही तू रहे, बाकी न मैं रहूँ न मेरी आरजू रहे|
जब तक कि तन में जान रगों में लहू रहे, तेरा ही जिक्र और तेरी जुस्तजू रहे||"
फाँसी के तख्ते पर खड़े होकर आपने कहा .....
"I wish the downfall of British Empire! अर्थात मैं ब्रिटिश साम्राज्य का पतन चाहता हूँ!"
.......... उसके पश्चात यह शेर कहा --
"अब न अह्ले-वल्वले हैं और न अरमानों की भीड़,
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-बिस्मिल में है |"
........... फिर ईश्वर का ध्यान व प्रार्थना की और यह मन्त्र ---
"ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानी परासुवः यद् भद्रं तन्न आ सुवः"
पढ़कर अपने गले में अपने ही हाथों से फाँसी का फंदा डाल दिया|
.............. रस्सी खींची गयी| पं.रामप्रसाद जी फाँसी पर लटक गये, आज जिनका १२०वाँ जन्मदिवस है|
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"तेरा गौरव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहें"
उन्हीं के इन शब्दों में भारत माँ के इन अमर सुपुत्र को श्रद्धांजलि|
जय जननी जय भारत | ॐ ॐ ॐ ||
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हे पराशक्ति ! भारतवर्ष अब भ्रष्ट, कामचोर, राष्ट्र-धर्मद्रोही, झूठे और रिश्वतखोर कर्मचारियों, अधिकारियों व राजनेताओं का देश हो गया है| इन सब का समूल नाश कर ! ॐ ॐ ॐ ||
कृपाशंकर
११ जून २०१७

2 comments:

  1. ऐसे ही लोगों को पुण्यश्लोक कहा है जिनका स्मरण मात्र प्रेरणा और पुण्य देने वाला है। इसके अन्य उदाहरण हैं- पुण्यश्लोको नलो राजा, पुण्यश्लोको युधिष्ठिरः। पुण्यश्लोका च वैदेही, पुण्यश्लोको जनार्दनः।।

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  2. ऐ मातृभूमि! तेरी जय हो ....................... लेखक :-- पं.राम प्रसाद बिस्मिल
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    ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो,
    प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कांतिमय हो|
    अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में,
    संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो||१||

    तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो,
    तेरी प्रसन्नता ही आनन्द का विषय हो|
    वह भक्ति दे कि 'बिस्मिल' सुख में तुझे न भूले,
    वह शक्ति दे कि दुःख में कायर न यह हृदय हो||२||

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