Sunday 11 June 2017

धर्म की रक्षा ......

धर्म की रक्षा ......
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मैंने पूर्व में कई बार अपना यह विचार व्यक्त किया है कि हम स्वधर्म की रक्षा, स्वधर्म का पालन कर के ही कर सकते हैं| अन्य कोई उपाय नहीं है| इसके लिए सर्वप्रथम तो हमें स्वयं को अपने निज जीवन में सदाचार लाने के लिए यथासंभव यम-नियमों का पालन करना होगा| अपने संस्कारों के बारे में सीखना होगा और उन्हें स्वयं के निज जीवन में उतारना होगा|
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हमारे बच्चे धर्म-रक्षक बनें इसके लिए उनके मन में बाल्यकाल से ही अच्छे संस्कार देने होंगे| बच्चों को किशोरावस्था में प्रवेश करते ही बाल रामायण, बाल महाभारत, पंचतंत्र की कहानियाँ और अच्छे से अच्छा बाल-साहित्य उपलब्ध कराना होगा| साथ साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बालक में आरम्भ से ही अच्छे संस्कार पड़ें| उन्हें भगवान से प्रेम करना और ध्यान साधना भी सिखानी होगी|
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जो वैदिक सनातन धर्म के अनुयायी हैं वे अपने बच्चों की युवावस्था आरम्भ होने से पूर्व ही उनका यज्ञोपवीत संस्कार कराएँ ताकि वे गायत्री मन्त्र जाप के अधिकारी बनें| किशोरावस्था से ही गायत्री का विधि-विधान से नियमित जप करने से वे मेधावी होंगे|
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अंत में यह बात मैं बार बार दोहराऊँगा कि धर्म की रक्षा धर्म के पालन से ही हो सकती है, सिर्फ बातों से नहीं|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
९ जून २०१७

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