Sunday 11 June 2017

जब तेल ही बेचना है तब फारसी पढने से क्या लाभ ?

जब तेल ही बेचना है तब फारसी पढने से क्या लाभ ?
यह बात बहुत देरी से समझ में आ रही है|
.
"पढ़ें फ़ारसी बेचें तेल" एक बहुत पुराना मुहावरा है| देश पर जब मुसलमान शासकों का राज्य था तब उनका सारा सरकारी और अदालती कामकाज फारसी भाषा में ही होता था| उस युग में फारसी भाषा को जानना और उसमें लिखने पढने की योग्यता रखना एक बहुत बड़ी उपलब्धी होती थी| फारसी जानने वाले को तुरंत राजदरबार में या कचहरी में अति सम्मानित काम मिल जाता था| बादशाहों के दरबार में प्रयुक्त होने वाली फारसी बड़ी कठिन होती थी, जिसे सीखने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी|
बादशाहों के उस जमाने में तेली और तंबोली (पान बेचने वाला) के काम को सबसे हल्का माना जाता था| अतः यह कहावत पड़ गयी कि "पढ़े फारसी बेचे तेल, देखो यह कुदरत का खेल"| अर्थात जब तेल ही बेचना है तो इतना परिश्रम कर के फारसी पढने का क्या लाभ हुआ?
.
आध्यात्मिक अर्थ :---
------------------
किसी को आत्मज्ञान ही प्राप्त करना है गुरु प्रदत्त आध्यात्मिक उपासना के द्वारा, तब उसे अपना सम्पूर्ण समय आध्यात्मिक साधना में ही लगाना चाहिए| उसके लिए गहन शास्त्रों का अध्ययन अनावश्यक है| आत्मज्ञान के पश्चात अन्य सारा ज्ञान तो वैसे ही प्राप्त हो जाता है| अतः एक मुमुक्षु को गुरुप्रदत्त उपासना ही करनी चाहिए| जब तेल ही बेचना है यानि आत्मज्ञान ही प्राप्त करना है तब साधना न कर के फारसी पढ़ना यानि शास्त्रों का गहन अध्ययन अनावश्यक है| इति|
ॐ ॐ ॐ ||

2 comments:

  1. व्यंग्य >>>>> किसी जमाने में फ़ारसी पढ़ना बहुत मेहनत का और खर्चीला काम माना जाता था| कम लोग ही इसे पढ़ पाते थे| तेली का काम हल्का माना जाता था| फ़ारसी पढ़ने के बाद अगर कोई तेल बेचते पाया जाता तो समझा जाता कि उसका फ़ारसी पढ़ना मिट्टी में मिल गया, कुछ इस तरह् जैसे आजकल अगर कोई अफ़सर, इंजीनियर,डाक्टर या और कोई सफ़ेद कालर वाला आदमी कोई मेहनत का काम करते पाया जाए तो उसकी लोग बेइज्जती कर देते हैं| यही सब करना था तो इतनी पढ़ाई काहे को की?
    > दुनिया के सबसे बुद्धिमान माने जाने वाले टोपर टाइप के लड़के अपने देश की सिविल सेवा परीक्षा के चक्रव्यूह को भेदकर सिविल सर्वेन्ट बनते हैं| मंसूरी की लालबहादुर शास्त्री अकादमी में ट्रेनिंग लेते हैं, व देश सेवा की शपथ लेते हैं| पांच दस साल में व्यवस्था की चक्की में पिसकर बेचारे अफ़सर बनकर रह जाते हैं| सारी योग्यता धरी रह जाती है| ऐसे ऐसे काम करने पड़ते हैं उनको कि कभी न कभी यह मुहावरा जरूर दोहराते होंगे .... "पढ़ें फ़ारसी बेंचे तेल"|
    >समय के साथ फ़ारसी जानने वाले भूखे मर रहे हैं और तेल बेचने वाले सर्वाधिक समृद्ध हैं जैसे पेट्रोल पंप वाले| दुनिया के सबसे अमीर देश तेल बेचने वाले ही हैं|

    ReplyDelete
  2. हाथ क‌ंगन को आरसी क्या और पढे लिखे को फारसी क्या ?

    ReplyDelete