Sunday 28 May 2017

आनंद की झलक :----

आनंद की झलक :----
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मनुष्य मौज-मस्ती करता है सुख की खोज में| यह सुख की खोज, अचेतन मन में छिपी आनंद की ही चाह है| सांसारिक सुख की खोज कभी संतुष्टि नहीं देती, अपने पीछे एक पीड़ा की लकीर छोड़ जाती है|
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आनंद की अनुभूतियाँ होती हैं सिर्फ ..... परमात्मा के ध्यान में| परमात्मा ही आनंद है, परम प्रेम जिसका द्वार है|
प्राण ऊर्जा का घनीभूत होकर मेरुदंड की सुषुम्ना नाड़ी के छः चक्रों में ऊर्ध्वगमन, कूटस्थ में अप्रतिम ब्रह्मज्योति के दर्शन और ओंकार का नाद, सहस्त्रार में व उससे भी आगे सर्वव्यापी भगवान परमशिव की अनुभूतियाँ जो शाश्वत आनंद देती हैं, वह भौतिक जगत में असम्भव है|
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 एक ध्वनी ऐसी भी है जो किसी शब्द का प्रयोग नहीं करती | उस निःशब्द ध्वनी में तन्मय हो जाना उच्चतम साधनाओं में से एक है | ॐ ॐ ॐ ||

ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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