भारतवर्ष ........
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सनातन धर्म ही भारतवर्ष है, और भारतवर्ष ही सनातन धर्म है| भारतवर्ष ऊर्ध्वमुखी चेतना के ऐसे लोगों का समूह है जो निरंतर विभा में रत हैं| सनातन धर्म ही भारतवर्ष की राजनीति है|
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मुझे गर्व है ऐसे भारत पर जहाँ गंगा, यमुना, सरस्वती, सिन्धु, गोमती, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा और कावेरी जैसी अनेक पवित्र नदियाँ हैं, जहाँ हिमालय की गुफाएँ हैं और ऐसे महान भक्त, त्यागी-तपस्वी, विरक्त संत हैं जो दिन-रात निरंतर परमात्मा का चिंतन करते हैं|
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यह संत-महात्माओं, त्यागी-तपस्वियों, सिद्ध-योगियों, भक्तों, दानियों और शूरवीरों का देश सदा अज्ञान और अन्धकार में नहीं रह सकता|
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परमात्मा की सबसे अधिक अभिव्यक्ति कहीं हुई है तो बस इसी देश में|
हजारों वर्षों के कालखंड में पिछले एक हज़ार वर्षों का समय अज्ञानान्धकार का था जो व्यतीत हो चुका है| अब आगे आने वाला समय प्रकाश ही प्रकाश का है| भारत का भविष्य सनातन धर्म है और इस पृथ्वी का भविष्य भारतवर्ष है| परमात्मा के प्रति पूर्ण प्रेम की अभिव्यक्ति और पूर्ण समर्पण ही जीवन का ध्येय है|
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एक प्रचंड प्रबल आध्यात्मिक ब्रह्मतेज का प्राकट्य इस राष्ट्र में होने वाला है जो सब तरह की दुर्बलताओं का विनाश कर एक नए भारत को साकार रूप देगा|
भारत माँ अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर विराजमान होगी|
सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा समस्त विश्व में होगी|
इसे कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यही ईश्वर की इच्छा है जिसको क्रियान्वित करने के लिए समस्त प्रकृति बाध्य है|
असत्य और अन्धकार की शक्तियों का पूर्ण विनाश निश्चित है|
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ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२४ मई २०१५.
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सनातन धर्म ही भारतवर्ष है, और भारतवर्ष ही सनातन धर्म है| भारतवर्ष ऊर्ध्वमुखी चेतना के ऐसे लोगों का समूह है जो निरंतर विभा में रत हैं| सनातन धर्म ही भारतवर्ष की राजनीति है|
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मुझे गर्व है ऐसे भारत पर जहाँ गंगा, यमुना, सरस्वती, सिन्धु, गोमती, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा और कावेरी जैसी अनेक पवित्र नदियाँ हैं, जहाँ हिमालय की गुफाएँ हैं और ऐसे महान भक्त, त्यागी-तपस्वी, विरक्त संत हैं जो दिन-रात निरंतर परमात्मा का चिंतन करते हैं|
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यह संत-महात्माओं, त्यागी-तपस्वियों, सिद्ध-योगियों, भक्तों, दानियों और शूरवीरों का देश सदा अज्ञान और अन्धकार में नहीं रह सकता|
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परमात्मा की सबसे अधिक अभिव्यक्ति कहीं हुई है तो बस इसी देश में|
हजारों वर्षों के कालखंड में पिछले एक हज़ार वर्षों का समय अज्ञानान्धकार का था जो व्यतीत हो चुका है| अब आगे आने वाला समय प्रकाश ही प्रकाश का है| भारत का भविष्य सनातन धर्म है और इस पृथ्वी का भविष्य भारतवर्ष है| परमात्मा के प्रति पूर्ण प्रेम की अभिव्यक्ति और पूर्ण समर्पण ही जीवन का ध्येय है|
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एक प्रचंड प्रबल आध्यात्मिक ब्रह्मतेज का प्राकट्य इस राष्ट्र में होने वाला है जो सब तरह की दुर्बलताओं का विनाश कर एक नए भारत को साकार रूप देगा|
भारत माँ अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर विराजमान होगी|
सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा समस्त विश्व में होगी|
इसे कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यही ईश्वर की इच्छा है जिसको क्रियान्वित करने के लिए समस्त प्रकृति बाध्य है|
असत्य और अन्धकार की शक्तियों का पूर्ण विनाश निश्चित है|
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कृपा शंकर
२४ मई २०१५.
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