Sunday 28 May 2017

हाथी के दांत खाने के और, और दिखाने के और ....

हाथी के दांत खाने के और, और दिखाने के और ....
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भारत में कई लोग अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के बारे में धारणा रखते थे कि ये इस्लामिक आतंकवाद के विरोधी हैं और आतंकवादियों का नाश कर के ही छोड़ेंगे, उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विचित्र शीर्षासन देखकर निराशा हुई होगी| अमेरिका के लिए अपने आर्थिक हित सर्वोपरी हैं| अमेरिका एक कारोबारी देश है जिसका भगवान सिर्फ पैसा है| और ट्रम्प महोदय तो स्वयं एक सफल कारोबारी हैं| कोई कारोबार करना सीखे तो उनसे सीखे|
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राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए उन्होंने अमेरिका का इस्लाम विरोधी मानस भाँप कर इस्लाम और आतंकवाद को एक ही सिक्के के दो पहलू बता दिया था| अमेरिका के मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों को उन्होंने सम्मोहित कर लिया| सात मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका प्रवेश पर प्रतिबंध लगा कर अपनी छवि एक इस्लाम विरुद्ध नेता के रूप में बनाई|
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लेकिन उनकी सऊदी यात्रा ने उनकी पोल खोल दी| सऊदी अरब में वे इस्लामी आतंकियों को धमकाते धमकाते गए थे जहाँ विश्व के सुन्नी बहुमत वाले ५५ देशीं के राष्ट्राध्यक्ष उपस्थित थे| वहाँ उन्होंने अपने व्यापारिक हित को अधिक महत्व दिया और सउदी अरब के साथ 350 अरब डॉलर के रक्षा-समझौते और 200 बिलियन डॉलर के अन्य व्यापारिक समझौते कर के, करोड़ों डॉलर कमा कर, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में एक नई जान फूँक दी| इसे कहते हैं असली कारोबारी|
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वहाँ उन्होंने एक नंगी तलवार हाथ में लेकर अरबी संगीत पर नृत्य भी किया, सऊदी अरब की खूब तेल मालिश की और आतंकवाद का सारा दोष अकारण शिया देश ईरान पर डाल दिया| उन्होंने पाकिस्तान को घास इसलिए नहीं डाली क्योंकि भिखारी पकिस्तान के साथ अमेरिका की दोस्ती सदा एक घाटे का सौदा रही है| अमेरिका ने पाकिस्तान का उपयोग सिर्फ भारत को डराने धमकाने के लिए ही किया है|
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दुनिया में फैले इस्लामी आतंकवाद को धन देने वाला सबसे बड़ा देश सऊदी अरब ही है| सबसे अधिक हिंसक और आक्रामक वहाबी इस्लाम सऊदी अरब का फैलाया हुआ है| ट्रंप ने सउदी अरब में दुनिया के सुन्नी बहुल 55 मुस्लिम देशों के नेताओं को संबोधित किया| मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प निकट भविष्य में सुन्नी सउदी अरब और शिया ईरान में युद्ध आरम्भ करवा कर ही अमेरिकी हित साधेंगे, वैसे ही जैसे पूर्व में अमेरिका ने ही ईरान और इराक में आपस का युद्ध करवाया था| उन्होंने अपने रोगी (अरब देशों) के सही मर्ज का तो पता लगा लिया पर एक गलत दवाई दी जिससे रोग सदा बना रहे और अमेरिकी हित सधता रहे|
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राष्ट्रपति ट्रम्प के ही साथ गए एक सैन्य अधिकारी तो इस्लामी देशों के नेताओं को "द इस्लामिस्ट माफिया" कहते हुए सुने गए| अमेरिका को तानाशाहों द्वारा शासित या बादशाहों द्वारा शासित सऊदी अरब जैसे देश ही पसंद है जो अमेरिका से बिना किसी आवश्यकता के अनाप सनाप खूब हथियार खरीद सकते हैं, क्योंकि वहाँ उनको कोई प्रश्न नहों कर सकता| सऊदी अरब में वहाँ के बादशाह के किसी निर्णय का विरोध करने वाले का तो सिर सार्वजनिक रूप से काट दिया जाता है| अतः वहां किसी का सहस नहीं होता कि वह सरकार का विरोध करे|
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सऊदी अरब सरकार द्वारा अरबों डॉलर से खरीदे हुए टैंकों और युद्धक विमानों का प्रयोग भारत के विरुद्ध हो सकता है क्योंकि सऊदी अरब और पाकिस्तान में एक रक्षा समझौता है| भारत में होने वाली सारी आतंकी गतिविधियों के लिए धन पकिस्तान के माध्यम से सऊदी अरब से ही आता है| सऊदी अरब को किसी भी देश से कोई खतरा नहीं है, वह इतने सारे हथियारों का करेगा क्या? उसके पास तो सेना बनाने के लिए आदमी ही नहीं है अतः वह निश्चित रूप से भाड़े पर पाकिस्तानियों को भर्ती करेगा| अभी भी उसने ५५ देशों के सुन्नी मुसलमानों की एक इस्लामी सेना बना रखी है जिसके सेनापती पाकिस्तान के पूर्व स्थल सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ हैं|
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अतः मेरे प्यारे भारत वासियों अपनी रक्षा के लिए स्वयं सशक्त बनो| अमेरिका आदि देशों और पश्चिमी देशों पर निर्भर मत रहो| भारत में हुई आतंकी घटनाओं पर इन देशों ने कभी भारत का साथ नहीं दिया|
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हर देश की विदेश निति भावुकता से नहीं, अपने राष्ट्रीय और आर्थिक हितों को दृष्टी में रखकर बनती है| हम स्वयं सशक्त और राष्ट्रवादी होंगे तो ही दुनिया हमारा साथ देगी, अन्यथा नहीं|
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वन्दे मातरम् | भारत माता की जय | ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
 कृपा शंकर
२५ मई २०१७

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