Sunday, 28 May 2017

हिन्दुओं में जातिवाद .......


 हिन्दुओं में जातिवाद .......
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हिन्दुओं में जाती प्रथा (जातिवाद) अब तक समाप्त हो जाती पर भारत के संविधान और सरकारी नीतियों ने इसे जीवित बना रखा है| सरकारी कागजों में जाती का उल्लेख प्रतिबंधित करने मात्र से ही जाती प्रथा समाप्त हो जायेगी| सबके साथ समान व्यवहार हो और किसी भी तरह का भेदभाव नहीं हो तो जाती प्रथा नहीं रहेगी| इसे राजनेताओं ने अपने स्वार्थ के लिए जीवित बना रखा है|
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हिन्दू धर्मावलम्बी वैसे ही संगठित नहीं है, पर उनमें से ब्राह्मण जाती के लोग तो सर्वाधिक असंगठित हैं| यही उनके पतन का सबसे बड़ा कारण है| जब तक ब्राह्मणों में उप जाती भेद है तब तक ब्राह्मण एकता कभी भी नहीं हो सकती|
ब्राह्मण ब्राह्मण है, उन्हें अपनी सभी उपजातियों को विसर्जित कर देना चाहिए| उनकी कई उप जातियाँ हैं जैसे .... गौड़, सारस्वत, कान्यकुब्ज, शाकद्वीपीय, मैथिली, सरयुपारीन, सनाढ्य, त्यागी, पुष्करणा, दाधीच, श्रीमाली, भूमिहार, खंडेलवाल, महियाल, चित्तपावन, देशस्थ, कोंकणी, अयंगार, अय्यर, नम्बूदरी, नियोगी आदि आदि आदि| इन सब को विसर्जित कर देने का समय आ गया है|

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