Monday 24 January 2022

अपनी कमियों व कर्मों के लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं, भगवान नहीं ---

 अपनी कमियों व कर्मों के लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं, भगवान नहीं ---

.
भगवान की कोई इच्छा या अनिच्छा नहीं होती, उनकी कृपा सब पर बराबर है। हम अपनी असफलता/असमर्थता/असहायता के लिए भगवान को दोष देते हैं, यह गलत है। यह झूठ है कि -- वही होता है जैसी भगवान की इच्छा होती है। यहाँ भगवान की कोई इच्छा या अनिच्छा नहीं है, यह सृष्टि अपने नियमों के अनुसार चल रही ही। प्रकृति अपने नियमों से कोई समझौता नहीं करती। उन नियमों को न समझना हमारा अज्ञान है। जिसे हम नहीं समझते, उसे अपना भाग्य कह देते हैं। उस दुर्भाग्य या सौभाग्य के लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं, भगवान नहीं।
.
गुरुकृपा से मैंने कर्मफलों व पुनर्जन्म को बहुत अच्छी तरह से समझा है, और बहुत कुछ अनुभूत किया है जो अनिर्वचनीय है। मेरी भी अपनी सीमाएँ हैं, विवशता है। अपनी अनुभूतियों को शब्द देने की सामर्थ्य मुझमें नहीं है। इसमें दोष किसी अन्य का या भगवान का नहीं है; मेरे अपने ही कर्मों का ही है, जिन का फल मैं भुगत रहा हूँ। अपने कई अनुभवों को मैं व्यक्त करना चाहता हूँ, लेकिन अपनी स्वयं कि कमजोरियों के कारण नहीं कर सकता। भगवान ने तो अपनी परमकृपा कर के अपने कई रहस्य मुझ पर अनावृत किए हैं -- जिनकी मुझमें पात्रता थी भी या नहीं, मुझे नहीं पता।
.
सब बंधनों को तोड़ने का एकमात्र उपाय है - भगवान की भक्ति (परमप्रेम) और समर्पण; जैसा भगवान ने गीता में बताया है ---
"सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥१८:६६॥"
.
इस से अधिक कुछ लिखने की आंतरिक अनुमति मुझे नहीं है। आप सब में परमात्मा को नमन !! ॐ तत्सत् !! हरिः ॐ !!
कृपा शंकर
११ जनवरी २०२२ (23:32hrs.)

No comments:

Post a Comment