Monday 24 January 2022

आप सब को उत्तरायण की मंगलमय शुभ कामनाएँ ---

 आप सब को उत्तरायण की मंगलमय शुभ कामनाएँ प्रेषित करते हुए मैं अपने हृदय के अंतरतम विचारों को भी सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ ---

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मैं स्वयं को जलाकर ही उस प्रकाश को उत्पन्न कर रहा हूँ, जो मेरे लिए परमात्मा के मार्ग को आलोकित कर रहा है। मेरे और परमात्मा के मध्य का मार्ग -- मेरे हृदय का परमप्रेम व अभीप्सा है, और सबसे बड़ी बाधा -- सत्यनिष्ठा का अभाव है। जिन्हें मैं ढूँढ़ रहा हूँ, वह तो मैं 'स्वयं' हूँ, और वह 'स्वयं' ही मुझे ढूँढ़ रहा है।
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परमात्मा ही परम सत्य है जिसकी खोज से पूर्व मुझे अपने भीतर असत्य के उन सभी अवरोधों को दूर कर देना चाहिए, जिन्होंने मुझे परमात्मा से पृथक कर रखा है। जो भी अनावश्यक विचार हैं, वे पतझड़ के पत्तों की तरह जितनी शीघ्र गिर जाये, उतना ही अच्छा है।
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कुछ भी कहने से पूर्व मैं विचार करूँ कि जो मैं कहने जा रहा हूँ, क्या यह सत्य है, आवश्यक है, और प्रिय है? अनावश्यक और अप्रिय विचारों का मेरे चित्त में जन्म ही न हो। मेरे हृदय में सब के प्रति सद्भावना हो, और मेरी अभिव्यक्ति अपने उच्चतम स्तर पर हो।
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मैं ही वह आकाश हूँ, जहाँ मैं विचरण करता हूँ। चारों ओर छाई हुई शांति का साम्राज्य भी मैं स्वयं ही हूँ। आप में और मुझ में कोई अंतर नहीं है। जो आप हैं, वह ही मैं हूँ। जब तक हमारे पैरों में लोहे की जंजीरें बंधी हुई हैं तब तक हम असहाय हैं। सर्वोपरी आवश्यकता उन सब बंधनों से मुक्त होना है जिन्होंने हमें असहाय बना रखा है।
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मंगलमय शुभ कामनाएँ और सप्रेम नमन॥ ॐ तत्सत्॥
कृपा शंकर
१३ जनवरी २०२२

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