सारी साधनाएँ एक बहाना मात्र है, वैसे ही जैसे किसी बच्चे के हाथ में खिलौना ---
.
सारी आध्यात्मिक सिद्धियाँ और ज्ञान, यहाँ तक की हमारा कल्याण भी हरिःकृपा पर निर्भर है, न कि किसी साधना पर। सारी साधनाएँ तो एक बहाना मात्र ही हैं, वैसे ही जैसे किसी बच्चे के हाथ में कोई खिलौना पकड़ा देते हैं। आवश्यक नहीं है कि शरणागति से भी कल्याण हो जाये। भगवान सिर्फ हमारा प्रेम और सत्यनिष्ठा देखते हैं।
जीवन का हर पल परमात्मा को निरंतर समर्पित है। कभी मृत्यु होगी तो वह इस देह की ही होगी, मैं तो शाश्वत आत्मा हूँ, जो परमात्मा के साथ एक है। मेरा अस्तित्व ही परमात्मा की अभिव्यक्ति है। अब तक के सभी जन्मों के सारे गुण-दोष, संचित व प्रारब्ध कर्मफल, और सर्वस्व परमात्मा को समर्पित है। मेरा एकमात्र संबंध परमात्मा से है। परमात्मा के अतिरिक्त मेरा अन्य किसी से किसी भी तरह का कोई संबंध अब नहीं रहा है। मेरा कोई पृथक अस्तित्व भी नहीं है।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१८ जनवरी २०२२
No comments:
Post a Comment