Monday 24 January 2022

हमें भगवान की आवश्यकता अभी इसी समय तुरंत है ---

हमें भगवान की आवश्यकता अभी इसी समय तुरंत है। उनके बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकते। उनके सिवाय और कुछ चाहिए भी नहीं।
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यह भौतिक-शरीर तो एक आधार है। वास्तविक साधना सूक्ष्म-शरीर में होती है। जब मुझे कारण-शरीर और उससे परे के अनुभव होने लगे थे तब कुछ भ्रम की सी स्थिति उत्पन्न हो गई थी , जो गुरुकृपा से अब नहीं है। थोड़ा बहुत तो अहंकार रहता ही है, क्योंकि यह सृष्टि अहंकार से ही चल रही है। जिस दिन अहंकार नहीं रहेगा उस दिन यह भौतिक शरीर ही नहीं, सूक्ष्म और कारण शरीर व उनकी तन्मात्राएं भी नष्ट हो जायेंगी; और आत्मा का परमात्मा में विलय हो जाएगा।
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गुरुकृपा से इस विषय पर कोई शंका अवशिष्ट नहीं है, लेकिन इसकी सार्वजनिक चर्चा का निषेध है। गुरुकृपा से अनुभूतिजन्य ज्ञान खूब हुआ है, इसलिए उनको सदा नमन करता हूँ। उनके स्मरणमात्र से वेदान्त की अनुभूतियाँ होने लगती हैं।
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जिनके हृदय में नारायण यानि भगवान विष्णु का निवास है, वे ही श्रीमान हैं, क्योंकि नारायण ने अपने हृदय में श्री को रखा हुआ है। जिनके हृदय में नारायण का निवास है, श्री का अनुग्रह यानि कृपा उन्हीं पर होती है। अतः अपने हृदय मंदिर में नारायण को सदा बिराजित रखें। इसी मंगलमय शुभ कामना के साथ आप सब के हृदय में नारायण को नमन !!
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२० जनवरी २०२२

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