भगवान का ध्यान -- निष्काम कर्मयोग, और सर्वश्रेष्ठ कर्म है ---
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यह संसार सृष्टिकर्ता के बनाये हुए नियमों के अनुसार ही चल रहा है, और उन्हीं के अनुसार चलता रहेगा। हम प्रकृति के नियमों को नहीं बदल सकते। कोई कुछ भी कहे, इससे क्या अंतर पड़ता है? हमारा सबसे बड़ा धर्म -- ईश्वर की प्राप्ति है। यही हमें जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त कर सकता है। जीवन में हम जो भी हैं, जहाँ भी हैं, अपने संचित और प्रारब्ध कर्मों के कारण हैं। भविष्य में जो भी होंगे, और जहाँ भी होंगे, वह अपने वर्तमान कर्मों के कारण ही होंगे। हमारे विचार और सोच ही हमारे कर्म हैं।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२० जनवरी २०२२
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