Friday 25 August 2017

भारत की शिक्षा व्यवस्था विश्व की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा व्यवस्था थी .....

भारत की शिक्षा व्यवस्था विश्व की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा व्यवस्था थी .....
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अंग्रेजी राज्य एक आसुरी राक्षस राज था| कुटिल दुष्ट अंग्रेजों ने भारत की प्राचीन शिक्षा और कृषि व्यवस्था को नष्ट कर दिया| देश के हर गाँव में गुरुकुल थे जहाँ निःशुल्क शिक्षा सभी को उपलब्ध थी|

अंग्रेजों ने सन १८५८ ई.में एक क़ानून बनाकर सारे गुरुकुलों पर प्रतिबन्ध लगा दिया, ब्राह्मण आचार्यों की हत्याएँ करवा दीं, बचे खुचों का सब कुछ छीन कर उन्हें दरिद्र बनाकर भगा दिया| वे इस योग्य भी नहीं रहे कि अपनी संतानों को शिक्षित कर सकें| गुरुकुलों को जलाकर नष्ट कर दिया गया| ब्राह्मणों से उनके ग्रन्थ छीन लिए गए| ग्रंथों को प्रक्षिप्त यानि उनमें मिलावट कर दी गयी| आर्य आक्रमण का कपोल कल्पित झूठा इतिहास रचा गया| ब्राह्मणों के विरुद्ध झूठा इतिहास लिखा गया|

स्वतंत्रता के पश्चात भी अंग्रेजों के मानस पुत्रों का ही राज्य रहा| वर्त्तमान शिक्षा व्यवस्था के कारण ही हमारी अस्मिता, राष्ट्रीय चरित्र और नैतिकता समाप्तप्राय है|

ॐ  तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
२२ अगस्त २०१७

2 comments:

  1. परमात्मा को पाने की विधियों का ज्ञान, और धर्म-अधर्म, कर्तव्य-अकर्तव्य आदि का ज्ञान ..... भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति में था | तभी भारत महान था |
    आज तो उसकी बात करने वाले को साम्प्रदायिक घोषित कर के निंदा का पात्र बना दिया जाता है|

    वर्तमान में तो जिससे खूब रुपया पैसा बनाया जा सके वही विद्या सही है और बाकी सब गलत | इसीलिए इतना अनाचार फैला हुआ है |

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  2. कॉन्वेंट (Convent) स्कूल क्या होते हैं ?.....

    ब्रिटेन में बिना विवाह के उत्पन्न हुए बच्चों को व अनाथ और अति दरिद्र बच्चों को चर्च में छोड़ दिया जाता था| यह प्रथा अब भी है| जब अनाथ और नाजायज़ बच्चों की संख्या बढ़ने लगी तब उन में सामाजिक संबंधों की चेतना जागृत करने के लिए कॉन्वेंट खोले गए जहाँ पादरियों को फादर, मदर व सिस्टर के रूप में नियुक्त किया जाता है| इंग्लैंड में पहला काँन्वेंट स्कूल सन् १६०९ में एक चर्च में खोला गया और भारत में पहला काँन्वेंट स्कूल कलकत्ता में सन् १८४२ में खोला गया| आज तो भारत में ही हज़ारों की संख्या में काँन्वेंट स्कूल चल रहे हैं|

    मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें उसने लिखा कि ....

    “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे| इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा| इनको अपनी संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा| इनको अपनी परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा| इनको अपने मुहावरे नहीं मालुम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।”

    उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है| आगे आप स्वयं समझदार हैं, कुछ लिखने की आवश्यकता नहीं है|

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