Monday 24 December 2018

क्रिसमस पर एक विशेष लेख (भाग १) ...

क्रिसमस पर एक विशेष लेख (भाग १) ...
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भगवान के नाम पर शराब पी कर, मांस खा कर, और नाच गा कर क्रिसमस का त्यौहार मनाना यह स्पेन और पुर्तगाल की परम्परा है जो योरोप और अमेरिका में फ़ैली, अब भारत में बहुत अधिक लोकप्रिय हो गयी है| टर्की नाम की एक विशेष प्रकार की बतख का मांस और ब्रेड के सॉस को इस दिन चाव से खाया जाता है, और शराब पीकर नाच गा कर इस क्रिसमस के त्यौहार को मनाया जाता है| मेरे सभी मित्रों को जो ईसाई मतावलंबी हैं या ईसा मसीह में आस्था रखते हैं उनको यह कहना चाहता हूँ कि ..... आप लोग अपने मत में आस्था रखो पर हमारे गरीब और लाचार हिंदुओं का धर्मांतरण यानि मत परिवर्तन मत करो, व हमारे साधू-संतों को प्रताड़ित मत करो| आप लोग हमारे सनातन धर्म की निंदा और हम पर झूठे दोषारोपण भी मत करो| स्वामी विवेकानंद के शब्दों में आप लोगों ने भारतवर्ष और हम हिन्दुओं को इतना अधिक बदनाम किया है और हमारे ऊपर इतना अत्याचार किया है कि यदि हम पूरे विश्व का कीचड़ भी तुम्हारे ऊपर फेंकें तो वह भी कम पड़ेगा|
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आज से दो हज़ार वर्ष पूर्व कल्पना कीजिये कि विश्व में कितना अज्ञान और अन्धकार था| वह एक ऐसा समय था जब भारतवर्ष में ही वैदिक धर्म का ह्रास हो गया था, तब भारत से बाहर तो कितना अज्ञान रहा होगा ! वैदिक मत के स्थान पर प्रचलित बौद्ध मत में अनेक विकृतियाँ आ रही थीं| भारतवर्ष में वामाचार का प्रचलन बढ़ गया था और अधिकाँश लोगों के लिए इन्द्रीय सुखों की प्राप्ति ही जीवन का लक्ष्य रह गया था|
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उस समय के फिलिस्तीन की कल्पना कीजिये जो वास्तव में एक परम अज्ञान और घोर अन्धकार का केंद्र था| वहाँ कोई पढाई-लिखाई नहीं थी| कहीं भी आने जाने के लिए लोग गधे की सवारी करते थे| लोग रोमन साम्राज्य के दास थे| रोमन साम्राज्य का एकमात्र ध्येय .... दूसरों को गुलाम बनाना, भोग-विलास और इन्द्रीय सुखों की प्राप्ती था| आप वर्तमान में ही फिलिस्तीन की स्थिति देख लीजिये| जो लोग उस क्षेत्र में गए हैं वे कह सकते हैं, और मैं भी मेरे अनुभव से कह रहा हूँ कि वह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ के बारे में कुछ भी प्रशंसनीय नहीं है| यही हालत आज पूरे अरब विश्व की है|
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उस समय एक ईश्वरीय चेतना ने वहाँ फिलिस्तीन के बैथलहम नगर में जन्म लिया जिसे समझने वाला वहाँ कोई नहीं था| वह चेतना भारत में आकर पल्लवित हुई और बापस अपने देश फिलिस्तीन गयी जहाँ उसे सूली पर चढ़ा दिया गया| बच कर वह चेतना बापस भारत आई और यहीं की होकर रह गयी|
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उस दिव्य चेतना के नाम पर एक मत चला जिसने पूरे विश्व में क्रूरतम हिंसा और अत्याचार किया| भारत में भी सबसे अधिक अति घोर अत्याचार और आतंक उस मत ने फैलाया और अभी भी फैला रहा है| देखा जाए तो उनके वर्तमान चर्चवादी मत और उनके मध्य कोई सम्बन्ध नहीं है| उन की मूल शिक्षाएं काल चक्र में लुप्त हो गयी हैं|
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क्राइस्ट एक चेतना है -- कृष्ण चैतन्य, आप उस चेतना में रहो| ईश्वर को प्राप्त करना आपका जन्मसिद्ध अधिकार है| आप भी ईश्वर की संतान हो| आप जन्म से पापी नहीं हो| आप अमृतपुत्र हैं| मनुष्य को पापी कहना सबसे बड़ा पाप है| अपने पूर्ण ह्रदय से परमात्मा को प्यार करो, सर्वप्रथम ईश्वर का साम्राज्य ढूँढो अर्थात ईश्वर का साक्षात्कार करो फिर तुम्हें सब कुछ प्राप्त हो जाएगा|
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आने वाले नववर्ष के बारे में .... काल अनन्त है, आध्यात्मिक मानव के लिये चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष है, जनवरी १, नववर्ष नहीं है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !
कृपा शंकर
२४ दिसंबर २०१८

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