Monday 24 December 2018

अक्षर ब्रह्म का ध्यान .....
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भगवान गीता में कहते हैं ... "ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्| यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्||८:१३||
अर्थात् जो पुरुष ओऽम् इस एक अक्षर ब्रह्म का उच्चारण करता हुआ और मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है वह परम गति को प्राप्त होता है|
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भगवान ने गीता में ओंकार को अक्षर ब्रह्म बताया है| श्रुति भगवती यानि सारे उपनिषद् ओंकार की महिमा से भरे पड़े हैं| योग सूत्रों में इसे परमात्मा का वाचक बताया है .... तस्य वाचकः प्रणवः||१:२७||
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इसलिए अपनी अपनी गुरु-परम्परानुसार गुरु के आदेश से गुरु की बताई हुई विधि से अक्षर ब्रह्म ओंकार का का निरंतर अनुस्मरण और नामजप करते रहना चाहिए|
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ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२० दिसंबर २०१८

1 comment:

  1. बहुत ही सुन्दर एवम ग्यान वर्धक प्रस्तुति---आभारी हूँ !

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