Monday 24 December 2018

कमाई खुद की ही काम आयेगी, दूसरों की नहीं .....

कमाई खुद की ही काम आयेगी, दूसरों की नहीं .....
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पर्वतों पर चढ़ाई करने वालों को ही पर्वतों से आगे के दृश्य दिखाई देते हैं, सिर्फ कल्पनाओं में, सुनी-सुनाई बातों और दूसरों के अनुभवों में कुछ नहीं रखा है| स्वयं अपने परिश्रम से साधना के शिखर पर चढ कर परमात्मा की अनुभूतियों को प्राप्त करना होगा| जितना परिश्रम करोगे, परमात्मा से उतना ही अधिक पारिश्रमिक मिलेगा| बिना परिश्रम के कुछ भी नहीं मिलेगा| परमात्मा भी अपना अनुग्रह यानी कृपा उसी पर करते हैं जो परमप्रेममय होकर उनके लिए परिश्रम करता है| मेहनत करोगे तो मजदूरी भी मिलेगी| संसार भी हमें मेहनत के बदले मजदूरी देता है, तो फिर भगवान क्यों नहीं देंगे? संत तुलसीदास जी ने कहा है .....
"तुलसी विलम्ब न कीजिए भजिये नाम सुजान| जगत मजूरी देत है क्यों राखे भगवान्||"
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अधिकांश लोग संत-महात्माओं के पीछे पीछे इसलिए भागते हैं कि संभवतः संत-महात्मा अपनी कमाई में से कुछ दे देंगे| पर ऐसा होता नहीं है| संत-महात्मा अधिक से अधिक हमें प्रेरणा दे सकते हैं, मार्गदर्शन कर सकते हैं, और सहायता कर सकते हैं| वे अपनी कमाई किसी को क्यों देंगे? मेहनत तो खुद को ही करनी होगी और मजदूरी भी खुद ही कमानी होगी, क्योंकि खुद की कमाई ही काम आयेगी, दूसरे की नहीं| मैं फिर से निवेदन कर रहा हूँ .... जगत मजूरी देत है, क्यों राखे भगवान !
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हरि ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२१ दिसंबर २०१८

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