Wednesday, 15 August 2018

अखंड भारत संकल्प दिवस .....

अखंड भारत संकल्प दिवस पर हम विचारपूर्वक संकल्प करते हैं कि भारत माता अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बिराजमान हों, सम्पूर्ण भारतवर्ष से असत्य और अन्धकार की शक्तियों का नाश हो, और सनातन धर्म की सर्वत्र पुनर्प्रतिष्ठा हो|
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श्रीअरविन्द के शब्दों में भारतवर्ष एक भूमि का टुकड़ा, मिटटी, पहाड़, और नदी नाले नहीं है| न ही इस देश के वासियों का सामूहिक नाम भारत है| भारतवर्ष एक जीवंत सत्ता है| भारतवर्ष हमारे लिए साक्षात माता है जो मानव रूप में भी प्रकट हो सकती है|
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भारतवर्ष का अखंड होना उसकी नियति है|
वर्तमान में भारतवर्ष के अनेक टुकड़े हो गए हैं जिनमें से सबसे बड़ा टुकड़ा India है, फिर बाकि अनेक|
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पर भारत की आत्मा एक है अतः भारत का अखंड होना निश्चित है|
भारतवर्ष दो विपरीत ध्रुवों के समन्वय का देश है| भारतीय मानस आध्यात्मिक, नीतिपरक, बौद्धिक और कलात्मक है|
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भारत का पतन इसलिए हुआ कि लोगों का जीवन अधार्मिक, अहंकारी, स्वार्थपरक और भौतिक हो गया| एक ओर अत्यधिक बाह्याचार, कर्मकांड, यंत्रवत भक्तिभावरहित पूजापाठ में हम लोग भटक गए, दूसरी ओर अत्यधिक पलायनवादी वैराग्य वृत्ति में उलझ गये, जिसने समाज की सर्वोत्तम प्रतिभाओं को अपनी ओर आकृष्ट कर लिया| जो लोग आध्यात्मिक समाज के अवलम्ब और ज्योतिर्मय जीवनदाता बन सकते थे वे समाज के लिए मृत हो गए| फिर हमें कोई सही मार्गदर्शक नहीं मिले|
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श्रीमद् भगवद्गीता हमारी राष्ट्रीय धरोहर है अतः इससे प्रेरणा लेकर हमें शक्ति की साधना और देशभक्ति की भावना बढानी चाहिए|
केवल भारत की आत्मा ही इस देश को एक कर सकती है| भारत की आत्मा को व्यक्त करने और राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने के लिए ..... हमें राष्ट्रभाषा के रूप में संस्कृत को अपनाना होगा और वन्दे मातरम को राष्ट्रगीत बनाना होगा|
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आओ हम सब दृढ़ निश्चय कर यह संकल्प करें कि भारत माँ अपने परम वैभव के साथ अखण्डता के सिंहासन पर बैठ रही है और अपने भीतर और बाहर के शत्रुओं का विनाश कर रही है|
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भारतवर्ष अखंड होगा, होगा, और होगा| धर्म की पुनर्स्थापना होगी और अन्धकार, असत्य व अज्ञान की शक्तियों का नाश होगा|
वन्दे मातरम| भारत माता की जय|
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वन्दे मातरम्।
सुजलां सुफलां मलय़जशीतलाम्,
शस्यश्यामलां मातरम्। वन्दे मातरम् ।।१।।

शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुरभाषिणीम्,
सुखदां वरदां मातरम् । वन्दे मातरम् ।।२।।
कोटि-कोटि कण्ठ कल-कल निनाद कराले,
कोटि-कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले,
के बॉले माँ तुमि अबले,
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीम्,
रिपुदलवारिणीं मातरम्। वन्दे मातरम् ।।३।।
तुमि विद्या तुमि धर्म,
तुमि हृदि तुमि मर्म,
त्वं हि प्राणाः शरीरे,
बाहुते तुमि माँ शक्ति,
हृदय़े तुमि माँ भक्ति,
तोमारेई प्रतिमा गड़ि मन्दिरे-मन्दिरे। वन्दे मातरम् ।।४।।
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी,
कमला कमलदलविहारिणी,
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्,
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्,
सुजलां सुफलां मातरम्। वन्दे मातरम् ।।५।।
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्,
धरणीं भरणीं मातरम्। वन्दे मातरम् ।।६।।
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१४ अगस्त २०१८
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पुनश्चः :--

"भारतभूमि .... आसेतु हिमालय पर्यन्त एक 'सिद्ध कन्या' ही नहीं साक्षात माता है|"
मूलाधार चक्र कन्याकुमारी' है, जहाँ का त्रिकोण शक्ति का स्त्रोत है| इसी मूलाधार से इड़ा पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियाँ प्रस्फुटित होती हैं| कैलाश पर्वत सहस्त्रार है|
ॐ अहं भारतोऽस्मि ॐ ॐ ॐ !! मैं ही भारतवर्ष हूँ, मैं ही सनातन धर्म हूँ, और समस्त सृष्टि मेरा ही विस्तार है| ॐ ॐ ॐ ||
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"मैं भारतवर्ष, समस्त भारतवर्ष हूँ, भारत-भूमि मेरा अपना शरीर है। कन्याकुमारी मेरा पाँव है, हिमालय मेरा सिर है, मेरे बालों में श्रीगंगा जी बहती हैं, मेरे सिर से सिन्धु और ब्रह्मपुत्र निकलती हैं, विन्ध्याचल मेरा कमरबन्द है, कुरुमण्डल मेरी दाहिनी और मालाबार मेरी बाईं जंघाएँ है। मैं समस्त भारतवर्ष हूँ, इसकी पूर्व और पश्चिम दिशाएँ मेरी भुजाएँ हैं, और मनुष्य जाति को आलिंगन करने के लिए मैं उन भुजाओं को सीधा फैलाता हूँ। आहा ! मेरे शरीर का ऐसा ढाँचा है ! यह सीधा खड़ा है और अनन्त आकाश की ओर दृष्टि दौड़ा रहा है। परन्तु मेरी वास्तविक आत्मा सारे भारतवर्ष की आत्मा है। जब मैं चलता हूँ तो अनुभव करता हूँ कि सारा भारतवर्ष चल रहा है। जब मैं बोलता हूँ तो मैं भान करता हूँ कि यह भारतवर्ष बोल रहा है। जब मैं श्वास लेता हूँ, तो अनुभव करता हूँ कि भारतवर्ष श्वास ले रहा है। मैं भारतवर्ष हूँ, मैं शंकर हूँ, मैं शिव हूँ और मैं सत्य हूँ|" --- स्वामी रामतीर्थ ---

1 comment:

  1. भारतवर्ष पुनश्च: एक धर्म-परायण आध्यात्मिक राष्ट्र होगा. एक आध्यात्मिक शक्ति धर्म की पुनर्स्थापना करेगी. असत्य और अंधकार की शक्तियों का पराभव होगा.

    जो थोड़ा-बहुत भी धर्म का पालन करेंगे, उनकी रक्षा होगी.

    यह समय कब आएगा यह मैं कह नहीं सकता, पर ऐसा होना सुनिश्चित है.

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