Wednesday 15 August 2018

१५ अगस्त के दिन राष्ट्रध्वज का पूर्ण सम्मान करें, और यह भी चिंतन करें कि हमें स्वतन्त्रता किसने दिलाई .....

१५ अगस्त के दिन राष्ट्रध्वज का पूर्ण सम्मान करें, और यह भी चिंतन करें कि हमें स्वतन्त्रता किसने दिलाई .....
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कुछ निजी कारणों से मैं १५ अगस्त का उत्सव स्थानीय श्रीअरविन्द आश्रम में ही मनाता हूँ जहाँ पढने वाले बच्चे बहुत सुन्दर भजन कीर्तन करते हैं| कल वहीं एक कार्यक्रम में गया था जहाँ बच्चों ने कार्यक्रम का आरम्भ ऋग्वेद के अग्निसूक्त के पाठ से किया| हर कार्यक्रम का समापन "वन्दे मातरं" के सामूहिक गान से होता है|
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मेरा सभी से अनुरोध है कि इस दिन राष्ट्रध्वज का पूर्ण सम्मान करें और श्रीअरविंद के उत्तरपाड़ा में दिए गए भाषण को एक बार अवश्य पढ़ें| यह भाषण मूल अंग्रेजी में और इसका हिंदी अनुवाद अंतर्जाल यानि इन्टरनेट पर उपलब्ध है| गूगल पर ढूंढ़ते ही मिल जाएगा|
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स्वतन्त्रता दिवस के बारे में मेरी कुछ व्यक्तिगत व्यथाएँ/पीड़ाएँ हैं जो आप सब से साझा कर रहा हूँ|

एक तो मुझे निश्चित रूप से यह नहीं पता कि भारत में सता का हस्तांतरण हुआ था या पूर्ण स्वतन्त्रता मिली थी|
दूसरी मेरी यह व्यथा है कि भारत को स्वतंत्रता मिली भी तो किस मूल्य पर? भारत माता की दोनों भुजाएँ पकिस्तान के रूप में काट दी गईं, लाखों परिवार विस्थापित हुए, लाखों निर्दोष लोगों की हत्याएँ हुईं, लाखों निर्दोष असहाय महिलाओं का बलात्कार हुआ, और लाखों असहाय लोगों का बलात् धर्मांतरण हुआ| क्या इन सब बातों को भुलाया जा सकता है ? यह विश्व के इतिहास का एक बहुत बड़ा सामूहिक नरसंहार था|
वे लाखों हिन्दू धन्य हैं जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़कर शरणार्थी बनना स्वीकार किया पर अपना धर्म नहीं छोड़ा| मैं उन सब को नमन करता हूँ|
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भारत के इतिहास का एक गौरवशाली सत्य भी है जिसे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से व्यक्तिगत द्वेष और घृणा के कारण तत्कालीन शासकों ने भारत की जनता से छिपा दिया था| नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज ने जापानी सेना की सहायता से ३० दिसंबर १९४३ को भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह को अंग्रेजों के अधिकार से मुक्त करा लिया था| उसी दिन यानि ३० दिसंबर १९४३ को ही पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना मैदान में नेताजी सुभाष बोस ने सर्वप्रथम तिरंगा फहराया था| नेताजी ने अंडमान व निकोबार का नाम बदल कर शहीद और स्वराज रख दिया था| स्वतंत्र भारत की घोषणा कर के स्वतंत्र भारत की सरकार भी नेता जी ने बना दी थी|
उसके पश्चात वहाँ पूरे एक वर्ष से अधिक समय तक आजाद हिन्द फौज का शासन रहा| नेताजी की संदेहास्पद तथाकथित मृत्यु के पश्चात अंग्रेजों ने आजाद हिन्द फौज से वहाँ का शासन बापस छीन लिया| अब सोचिये की हमें स्वतन्त्रता किसने दिलाई ?
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यह हमारा दुर्भाग्य है कि जिन्होंने लाखों भारतीयों की ह्त्या की उन अँगरेज़ जनरलों नील और हेवलॉक के सम्मान में रखे गए द्वीपों के नाम Neil Island और Havelock Island अभी तक वैसे के वैसे ही हैं| और भी वहाँ ऐसे कई टापू होंगे जिनके नाम अत्याचारी अँगरेज़ सेनानायकों के सम्मान में रखे गये थे| उनके नाम बदलने चाहिएँ| भारत का सबसे दक्षिणी भाग इंदिरा पॉइंट है जो ग्रेट निकोबार के दक्षिण में है| पहले इसका नाम पिग्मेलियन पॉइंट था| यहाँ का लाइट हाउस बड़ा महत्वपूर्ण है|
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भारत माता की जय ! वन्दे मातरं ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१३ अगस्त २०१८

1 comment:

  1. देश के पहिले प्रधानमन्त्री नेताजी सुभाष चन्द्र बोस थे जिन्होनें ३० दिसम्बर १९४४ को पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना मैदान में तिरंगा झंडा फहराया था| वे भारत की पहली सरकार के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री थे| उनकी सरकार को ९ देशों ने मान्यता दे दी थी| भारत को मुक्त कराने का श्रेय उन्हें और जिन लोगों ने उनको प्रेरणा और सहयोग दिया, उनको ही जाता है|

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