Tuesday 5 December 2017

धर्म का आचरण कैसे हो ? .....

धर्म का आचरण कैसे हो ? .....
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हमारे सब दुःखों व कष्टों का कारण हमारे द्वारा धर्म का आचरण नहीं करना ही है| भगवान के प्रति परम प्रेम और सतत समर्पण की भावना द्वारा ही हम धर्म का मर्म समझ सकते हैं| धर्म एक अनुभव और प्रेरणा है जो हमें भगवान से प्राप्त होती है| हमारा आचरण धार्मिक तभी हो सकता है जब हमारे जीवन के केंद्रबिंदु और कर्ता सिर्फ भगवान हों और अपनी सारी इच्छाएँ हम उन में समर्पित कर दें|
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अधिकाँश लोग सोचते हैं कि भगवान हमारी प्रार्थनाओं व स्तुतियों से प्रसन्न होकर हमें सुख शांति और भोग्य पदार्थ देते हैं| उनके लिए भगवान एक माध्यम यानि साधन है और संसार की वासनाएँ साध्य है| ऐसी सोच और समझ हमें बार बार दुःख के महासागर में डालती है|
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हमारे सब दुःखों का कारण हमारी कामनाएँ हैं| भगवान की ओर समस्त कामनाओं को मोड़ देंगे तो वे हमारी कामनाओं को निश्चित ही समाप्त कर देंगे| पूरा ह्रदय उनको दे देने से ही धर्म का आचरण हो सकता है|
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हे प्रियतम परमात्मा, हमें आपसे प्यार हो गया है, आप सदा हमें प्यारे लगें, आप सदा हमें प्यारे लगें, और आप सदा हमें प्यारे लगें| इसके अतिरिक्त हमारी कोई कामना नहीं है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ नवम्बर २०१७

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