Tuesday 5 December 2017

मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्‍ठामि नारद ....

नाहं वसामि वैकुण्‍ठे योगिनां हृदये न च, मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्‍ठामि नारद .......
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आज गीता जयंती के शुभ अवसर पर अप्रत्याशित रूप से भगवान की कृपा से बहुत अच्छा सत्संग हुआ| कुछ मित्रों नें भजन कीर्तन और प्रवचन का कार्यक्रम रखा था जिसमें जाने का सौभाग्य मिला| फिर एक बहुत ही अच्छे संत महात्मा जी के दर्शन का सुअवसर मिला|
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आज के पावन अवसर पर मैं तीन संत महात्माओं को श्रद्धांजलि देना चाहता हूँ|
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इनमें से दो संत महात्मा तो गृहस्थ थे और राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के चूरू जिले से थे| आज उन्हीं के पुण्य प्रताप से गीता के ज्ञान का इतना अधिक प्रचार-प्रसार हुआ है, और गीता की प्रति इतने सस्ते मूल्य पर भारत के हर घर में उपलब्ध है| ये दोनों ही संत मारवाड़ी अग्रवाल परिवार में जन्में थे| एक तो थे प्रातः स्मरणीय स्वर्गीय सेठ जयदयाल गोयनका जिन्होंने आरम्भ आरम्भ में तो गीता का सिर्फ एक ही श्लोक पढ़कर भगवान श्रीकृष्ण की पराभक्ति व परम कृपा को प्राप्त किया| इन्होनें गीता प्रेस गोरखपुर, गीताभवन स्‍वर्गाश्रम ऋषिकेश, गोविन्द भवन कोलकाता, श्री ऋषिकुल ब्रह्मचर्याश्रम चूरू, गीताभवन आयुर्वेद संस्‍थान, आदि संस्थाओं की स्थापना की| यह एक अतिमानवीय कार्य था| किसी भी प्रकार की औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त होने के पश्चात भी वे विद्वता के परम शिखर पर पहुंचे|
दूसरे संत उन्हीं के मौसेरे भाई स्वर्गीय सेठ हनुमान प्रसाद पोद्दार थे जो उनके सम्पर्क में आए तथा गीता प्रेस के लिए समर्पित हो गए| उन्होंने गीता प्रेस से "कल्याण" पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया|
उपरोक्त दोनों ही सेठों को नमन जिन के कारण आज गीता, रामचरितमानस व अन्य धार्मिक साहित्य घर घर में उपलब्ध है|
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तीसरे संत थे स्वर्गीय श्री राजीव दीक्षित (३० नवम्बर १९६७ ---- ३० नवम्बर २०१०) जिनका आज जन्मदिवस भी है और पुण्य स्मृति दिवस भी| ये एक वैज्ञानिक, प्रखर वक्ता और आजादी बचाओ आन्दोलन के संस्थापक थे| बाबा रामदेव ने उन्हें भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व सौंपा था, जिस पद पर वे अपनी मृत्यु तक रहे| वे राजीव भाई के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे| ये भी एक परम संत थे जिन्होंने अपने संतत्व को सदा छिपाए रखा|
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उपरोक्त तीनों संतों को पुनश्चः श्रद्धांजली देते हुए इस लेख का समापन करता हूँ|
भगवान श्रीकृष्ण की परम कृपा हम सब पर बनी रहे|
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"वसुदेवसुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं |देवकी-परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ||

"वंशी विभूषित करान नव नीरदाभात पीताम्बरा अरुण बिम्ब फलाधरोष्टात |
पूर्णेंदु सुंदर मुखार अरविन्द नेत्रात कृष्णात परम किमअपि तत्वमहम न जाने ||"
"कस्तुरी तिलकं ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभं,
नासाग्रे वरमौक्तिकं करतले, वेणु करे कंकणम् |
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि,
गोपस्त्री परिवेश्टितो विजयते, गोपाल चूडामणी ||"
"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने | प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः ||"
भगवान श्रीकृष्ण की जय ||

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