"तुलसी विलम्ब न कीजिए भजिये नाम सुजान| जगत मजूरी देत है क्यों राखे भगवान् ||"
.
कमाई खुद की ही काम आयेगी, दूसरों की नहीं| जितना परिश्रम करोगे, परमात्मा से उतना ही अधिक पारिश्रमिक मिलेगा| बिना परिश्रम के कुछ भी नहीं मिलेगा| परमात्मा भी अपना अनुग्रह यानी कृपा उसी पर करते हैं जो परमप्रेममय होकर उनके लिए परिश्रम करता है| मेहनत करोगे तो मजदूरी भी मिलेगी| संसार भी हमें मेहनत के बदले मजदूरी देता है, तो फिर भगवान क्यों नहीं देंगे?
.
अधिकांश लोग साधुओं व महात्माओं के पीछे पीछे इसलिए भागते हैं कि संभवतः संत-महात्मा अपनी कमाई में से कुछ दे देंगे| पर ऐसा होता नहीं है| संत-महात्मा अधिक से अधिक हमें प्रेरणा दे सकते हैं, मार्गदर्शन कर सकते हैं, और सहायता कर सकते हैं| वे अपनी कमाई किसी को क्यों देंगे? मेहनत तो खुद को ही करनी होगी और मजदूरी भी खुद ही कमानी होगी, क्योंकि खुद की कमाई ही काम आयेगी, दूसरे की नहीं|
२१ दिसंबर २०२१
No comments:
Post a Comment