पहली बात तो यह है कि ईश्वर की सृष्टि में कहीं कोई अंधकार नहीं है। गहन से गहन अंधकार के पीछे भी एक प्रकाश है, जो मुझे दृष्टिगत हो रहा है। जहां असत्य है, वहीं अंधकार है। एकमात्र सत्य -- परमात्मा हैं, जो परम ज्योतिर्मय हैं। परमात्मा के प्रकाश का अभाव ही अंधकार है। असत्य हमारी चेतना में है, तभी हमें अंधकार प्रतीत हो रहा है। हम परमात्मा के प्रकाश का निरंतर विस्तार करें।
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परमात्मा की अनंतता का ध्यान करें। सारी बातें समझ में आ जायेंगी। परमात्मा की चेतना में निरंतर हर समय बने रहो। यही सबसे बड़ी सेवा है जो हम समष्टि के लिए कर सकते हैं। हरिः ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१९ दिसंबर २०२४
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