Sunday 31 March 2019

हमारे धर्म व संस्कृति की रक्षा कैसे हो ? .....

हमारे धर्म व संस्कृति की रक्षा कैसे हो ? .....
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वर्तमान परिस्थितियों में हम सर्वश्रेष्ठ क्या कर सकते हैं, यह निश्चय कर के ही अपनी क्षमतानुसार हर कार्य पूरे मनोयोग से और अपना सर्वश्रेष्ठ करें| यह भाव रखें कि हम भगवान की प्रसन्नता के लिए ही हर कार्य कर रहे है, न कि किसी मनुष्य को प्रसन्न करने के लिए| धीरे धीरे भगवान को कर्ता बनाकर उनके उपकरण मात्र बन जाएँ| किसी की अनावश्यक आलोचना या निंदा न करें| जीवन से ईर्ष्या-द्वेष और अहंकार को मिटाने का प्रयास करते रहें| रात्रि को सोने से पूर्व नाम-स्मरण, जप, ध्यान आदि कर के ही सोयें| प्रातःकाल उठते ही परमात्मा का स्मरण करें| पूरे दिन परमात्मा की स्मृति निरंतर प्रयास करके बनाए रखें| पराये धन और पराई स्त्री/पुरुष कि कामना न करें| अच्छा साहित्य पढ़ें, अच्छे लोगों के साथ रहें, और कुसंगति से दूर रहे| स्वास्थ्यवर्धक अच्छा सात्विक भोजन लें| शराब और जूए से दूर रहें| पर्याप्त मात्रा में विश्राम करें| आयु के अनुसार शारीरिक व्यायाम कर के स्वस्थ रहें| समाज में अपने बालक-बालिकाओं को स्वस्थ व हर दृष्टिकोण से शक्तिशाली बनायें|
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उपरोक्त सब बिन्दुओं पर गंभीरता से विचार कर के और उस पर आचरण कर के ही हम धर्म की रक्षा कर पायेंगे, अन्यथा नहीं| धर्माचरण बहुत आवश्यक है क्योंकि विश्व की ही नहीं, अपने देश की भी कई आसुरी शक्तियाँ अपने राष्ट्र को ही तोड़ना चाहती हैं| धर्माचरण ही हमें बचा पायेगा| भगवान की भक्ति के प्रचार-प्रसार से ही जातिवाद टूटेगा, देशभक्ति जागृत होगी और कभी गृहयुद्ध की सी स्थिति नहीं आएगी| अपने राष्ट्र, अपनी संस्कृति, अपने राष्ट्रधर्म और स्वाभिमान की रक्षा करें|
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ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! जय जननी जय भारत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ मार्च २०१९

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