Monday, 23 June 2025

चोरी की शिकायत किस से करें ? .....

चोरी की शिकायत किस से करें ? .....

जब से भगवान ने हमारा ह्रदय चुरा लिया है तब से हमारा ह्रदय उनका ही हो गया है| अब तो हमारे पास अपना कहने को कुछ भी नहीं बचा है| सब कुछ तो उन्हीं का हो गया है| उनका ह्रदय ही हमारा घर भी हो गया है| भगवान वास्तव में हरि यानी सच्चे चोर हैं ....
"हरति पापानि भक्तानां मनांसि वा इति हरि:|" वे अपने भक्तों के मन के सारे पाप हर लेते हैं, अतः उनका एक नाम "हरि" है| भक्त को तो पता ही नहीं चलता कि उसके पापों की चोरी भी हो गयी है| अतः ऐसे चोर से पूज्य और कौन हो सकता है जो चोरी की इच्छा को ही चुरा लेते हैं|
.
वे "चोरजारशिखामणि" अर्थान चोरों व जारों के सरदार हैं|
चोर :-- "चोरयति सर्वविषयाभिलाषम् भक्तानाम् इति"| जो भक्तों की सम्पूर्ण विषयों की अभिलाषा को चुरा लेते हैं|
जार:-- जारयति संसारबीजम् अविद्याम् इति"| जो भजनपरायण की संसारकारणीभूता अविद्या को जला देते हैं वे जार हैं|
इन चोर और जारों के जो शिखामणि अर्थात् सर्वश्रेष्ठ हैं| वे भगवान् ही चोरजारशिखामणि हमारे आराध्य हैं|
.
भगवान दुःख-तस्कर भी हैं| तस्कर का अर्थ भी चोर होता है| भगवान अपने भक्त के दुःखों को चुपचाप कब चुरा लेते हैं, भक्त को पता ही नहीं चलता|
अब चोरी की शिकायत किस से करें ?
.
हरि ॐ तत्सत् | श्री हरि | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२४ जून २०१७

No comments:

Post a Comment