भगवान को पाने का एकमात्र मार्ग "भक्ति" है...
.
गीता में भगवान कहते हैं ...
"भक्त्या मामभिजानाति यावान्यश्चास्मि तत्त्वतः| ततो मां तत्त्वतो ज्ञात्वा विशते तदनन्तरम्||१८:५५||"
अर्थात् (उस परा) भक्ति के द्वारा मुझे वह तत्त्वत: जानता है कि मैं कितना (व्यापक) हूँ तथा मैं क्या हूँ| (इस प्रकार) तत्त्वत: जानने के पश्चात् तत्काल ही वह मुझमें प्रवेश कर जाता है, अर्थात् मत्स्वरूप बन जाता है||
.
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !!
२४ जून २०२०
No comments:
Post a Comment