Wednesday 21 February 2018

शैतान यानि असुर एक वास्तविकता है जिसका मैं साक्षी हूँ .....

शैतान यानि असुर एक वास्तविकता है जिसका मैं साक्षी हूँ (The Devil exists, This is my testimony) .......
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हमारे अतृप्त अशांत मन के पीछे आसुरी शक्तियाँ हैं, जिनसे हमें मुक्त होना है| हमारा अतृप्त अशांत मन ही हमारी सब बुराइयों और सब पापों का कारण है|
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जिस तरह से दैवीय जगत होता है वैसे ही आसुरी और पैशाचिक जगत भी होते हैं जो हमारे जीवन पर निरंतर प्रभाव डालते रहते हैं| जैसे देवता हमारी सहायता करते हैं वैसे ही असुर भी निरंतर हमारे ऊपर अधिकार कर हमें बुराई की और धकेलने का प्रयास करते रहते हैं| कई बार हम ऐसे गलत कार्य कर बैठते हैं जिनका हमें स्वयं को भी विश्वास नहीं होता कि हमारे रहते हुए भी ऐसा क्यों हुआ| हमें पता भी नहीं चलता कि कब किसी आसुरी शक्ति ने हमें अपना उपकरण बना कर हमारा प्रयोग या उपयोग कर लिया|
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मैंने आज (१५ फरवरी २०१८ को) स्पष्ट रूप से एक दैवीय जगत को भी स्पष्ट अनुभूत किया है और आसुरी जगत को भी| कई बड़े बड़े शक्तिशाली असुर हैं जिनसे भगवान ही हमारी रक्षा कर सकते हैं| मेरी रक्षा भी भगवान की कृपा से ही होती रही है अन्यथा असुरों ने मुझ पर अधिकार कर मुझे नष्ट करने का पूरा प्रयास किया है| आज तो प्रत्यक्ष रूप से मैंने एक अति शक्तिशाली असुर का अनुभव किया है| यह एक वर्जित विषय है जिसकी चर्चा का भी निषेध है, पर ये पंक्तियाँ एक अंतर्प्रेरणा से मैं लिख रहा हूँ|
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मैनें ३० जनवरी को एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था "शैतान क्या है? आज मैंने यह प्रत्यक्ष अनुभव किया है कि Devil यानी शैतान एक वास्तविकता है| उस लेख को यहाँ पुनर्प्रस्तुत कर रहा हूँ और अंत में एक टिप्पणी जोड़ी है|
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(पुनर्प्रस्तुत लेख) शैतान क्या है .....
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शैतान (Satan या Devil) की परिकल्पना इब्राहिमी (Abrahamic) मजहबों (यहूदी, इस्लाम और ईसाईयत) की है| भारत में उत्पन्न किसी भी मत में शैतान की परिकल्पना नहीं है| शैतान .... इब्राहिमी मज़हबों में सबसे दुष्ट हस्ती का नाम है, जो दुनियाँ की सारी बुराई का प्रतीक है| इन मज़हबों में ईश्वर को सारी अच्छाई प्रदान की जाती है और बुराई शैतान को|
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हिन्दू परम्परा में शैतान जैसी चीज़ का कोई अस्तित्व नहीं है, क्योंकि हिन्दू मान्यता कहती है कि मनुष्य अज्ञान वश पाप करता है जो दुःखों की सृष्टि करते हैं| इब्राहिमी मतों के अनुसार शैतान पहले ईश्वर का एक फ़रिश्ता था, जिसने ईश्वर से ग़द्दारी की और इसके बदले ईश्वर ने उसे स्वर्ग से निकाल दिया| शैतान पृथ्वी पर मानवों को पाप के लिये उकसाता है|
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ईसाई मत में शैतान बुराई की व्यक्तिगत सत्ता का नाम है, जिसको पतित देवदूत. ईश्वर विरोधी दुष्ट, प्राचीन सर्प आदि कहा गया है| जहाँ ईसा मसीह अथवा उनके शिष्य जाते थे वहाँ वह अधिक सक्रिय हो जाता था क्योंकि ईसा मसीह उसको एक दिन पराजित करेंगे और उसका प्रभुत्व मिटा देंगे| अंततोगत्वा वह सदा के लिए नर्क में डाल दिया जाएगा|
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जिन हिन्दू संतों और विद्वानों ने ईसा मसीह और उनकी शिक्षाओं पर लेख लिखे हैं, उन्होंने मनुष्य की "काम वासना" को ही शैतान बताया है|
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सार की बात यह है कि अपना भटका हुआ, अतृप्त अशांत मन ही शैतान है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३० जनवरी २०१८
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पुनश्चः :--- यह मेरी आज १५ फरवरी २०१८ की टिप्पणी है कि यदि मैं यह कहूँ कि हमारे अतृप्त और अशांत मन के पीछे आसुरी शक्तियाँ यानि शैतान है तो मैं गलत नहीं हूँ| शैतान है और मैं इसका साक्षी हूँ| जिन मनुष्यों को हम पापी या दुष्ट कहते हैं वे तो शैतान यानि आसुरी जगत के शिकार हैं, इसमें उनका क्या दोष? हम स्वयं आसुरी प्रभाव से पूर्णतः मुक्त होकर ही उनकी सहायता कर सकते हैं|
१५ फरवरी २०१८

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