Wednesday 21 February 2018

मुक्ति की सोचें, बंधनों की नहीं .....

सावधान :--- इस जीवन में इस पृथ्वी पर, और इस जीवन के पश्चात् एक काल्पनिक स्वर्ग में मौज-मस्ती-मजा लेने की कामना या अपेक्षा घोर निराशाजनक, असत्य व महादुखदायी होगी| ऐसी कामनाएँ और अपेक्षाएँ महाबंधनकारी, झूठी और नर्क में धकेलने वाली हैं| इस खतरे से सावधान! अपनी इन्द्रियों को और मन को वश में रखें|
मुक्ति की सोचें, बंधनों की नहीं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
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 क्या हमें पता है कि हमारी समस्याएँ और हमारी आवश्यकताएँ क्या हैं ? क्या हम अपनी समस्याओं का निदान और अपनी आवश्यकताओं की खोज सही स्थान पर कर रहे हैं ? कहीं हम विज्ञापनों को देखकर या दूसरों से बराबरी करने के लिए या दूसरों के गलत प्रभाव में आकर झूठी आवश्यकताओं का निर्माण तो नहीं कर रहे हैं ?

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