Friday, 7 March 2025

शिवरात्रि की अनंत शुभ कामनाएँ ---

 शिवरात्रि की अनंत शुभ कामनाएँ ---

"ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च।
मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च॥"
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जीवन का मूल उद्देश्य है -- शिवत्व की प्राप्ति। शिवत्व को कैसे प्राप्त करें? इस का उत्तर है -- कूटस्थ में ओंकार रूप में परमशिव का ध्यान। यह किसी कामना की पूर्ती के लिए नहीं, बल्कि कामनाओं के नाश के लिए है। आते जाते हर साँस के साथ उनका चिंतन-मनन और समर्पण -- उनकी परम कृपा की प्राप्ति करा कर आगे का मार्ग प्रशस्त कराता है। जब मनुष्य की ऊर्ध्व चेतना जागृत होती है, तब उसे स्पष्ट ज्ञान हो जाता है कि संसार की सबसे बड़ी उपलब्धि है -- कामना और इच्छा की समाप्ति।
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जीवन में अंधकारमय प्रतिकूल झंझावात आते ही रहते हैं, जिनसे हमें विचलित नहीं होना चाहिए। इनसे तो हमारी प्रखर चेतना ही जागृत होती है, व अंतर का सौंदर्य और भी अधिक निखर कर बाहर आता है। किसी भी परिस्थिति में अपनी नियमित आध्यात्मिक उपासना न छोड़ें। बड़ी कठिनाई से हमें भगवान की भक्ति का यह अवसर मिला है। कहीं ऐसा न हो कि हमारी ही उपेक्षा से भगवान को पाने की हमारी अभीप्सा ही समाप्त हो जाए। कभी भी विचलित न हों। हम सब सच्चिदानंद परमात्मा परमशिव की ही अभिव्यक्तियाँ हैं।
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श्रुति भगवती कहती है -- ‘शिवो भूत्वा शिवं यजेत्’ यानि शिव बनकर शिव की उपासना करो। जिन्होने वेदान्त को निज जीवन में अनुभूत किया है वे तो इस तथ्य को समझ सकते हैं, पर जिन्होने गीता का गहन स्वाध्याय किया है वे भी अंततः इसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। तत्व रूप में शिव और विष्णु में कोई भेद नहीं है। गीता के भगवान वासुदेव ही वेदान्त के ब्रह्म हैं। वे ही परमशिव हैं।
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"शिव" का अर्थ शिवपुराण के अनुसार -- जिन से जगत की रचना, पालन और नाश होता है, जो इस सारे जगत के कण कण में संव्याप्त है, वे शिव हैं। जो समस्त प्राणधारियों की हृदय-गुहा में निवास करते हैं, जो सर्वव्यापी और सबके भीतर रम रहे हैं, वे ही शिव हैं।
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साधना की दृष्टि से हिन्दू धर्म में चार रात्रियों का बड़ा महत्व है -- कालरात्रि (दीपावली), दारुणरात्रि (होली), मोहरात्रि (जन्माष्टमी), और महारात्रि (महाशिवरात्रि)। इन रात्रियों को की गई उपासना कई गुना अधिक फलदायी होती हैं। महाशिवरात्रि शिव तत्व की उपासना के लिए है। अगम्य और अति गूढ शिव तत्व को समझाने के लिए अनेक कथा-कहानियाँ रची गई हैं। महत्व साधना का है, न कि किसी प्रकार के आडंबर का।
महाशिवरात्रि पर दिन में थोड़ा विश्राम कर लें, और रात भर शिवभाव में स्थित होकर शिव की उपासना करें। शिवकृपा होगी।
कृपा शंकर
७ मार्च २०२४

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