ॐ नमो नृसिंहाय, हिरण्यकशिपोर्वक्षस्थल विदारनाय ---
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हिरण्यकशिपु इसी समय मेरे भीतर जीवित है। मेरा लोभ और अहंकार ही हिरण्यकशिपु है। भगवान नृसिंह ने जिस तरह हिरण्यकशिपु को अपनी गोद में लेटाकर उसका वक्षस्थल विदीर्ण कर दिया था, वैसे ही वे मेरे लोभ व अहंकार रूपी हिरण्यकशिपु को मार डालें। कुछ बचे तो उन का प्रेम ही बचे, बाकी सब नष्ट हो जाये।
भारत के भीतर और बाहर के सभी शत्रुओं का नाश हो। भारत में कहीं भी असत्य का अंधकार न रहे। यही होली की शुभ कामनाएँ हैं !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
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