"You be what I am"
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जिन्होंने कभी जन्म ही नहीं लिया, उनकी कभी मृत्यु भी नहीं हो सकती। वे परमशिव के साथ एक हैं। उन का ध्यान हमें इस देह की चेतना से मुक्त कर सकता है।
महादेव महादेव महादेव ! ॐ ॐ ॐ !!
एक दिन ध्यान में अचानक ही गुरु महाराज की परम तेजस्वी छवि सामने आई। उनके चेहरे पर अवर्णनीय तेज था। उन्होंने मुझे खूब देर तक देखा, और आंग्ल भाषा में एक आदेश दिया -- "You be what I am", और चले गए। उनके कहने का पूरा अभिप्राय मैँ समझ गया। उनके कहने का अभिप्राय था कि - "मैं ईश्वर के साथ एक हूँ, तुम भी ईश्वर को प्राप्त करो, अन्य बातों की ओर ध्यान मत दो, जो मैं हूँ वह तुम बनो।"
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उस दिन से मुझे बोध हो गया कि गुरु कोई शरीर नहीं होता। वे एक तत्व होते हैं जो विभिन्न देहों में हमारे मार्गदर्शन के लिए आते हैं। तब से उनसे पृथकता का बोध कभी नहीं हुआ। ईश्वर में वे मेरे साथ एक है, और मैं भी उनके साथ एक हूँ। मेरे इस जीवन का एकमात्र लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति है, अन्य सब विक्षेप है। हम एक निमित्त मात्र हैं, सारी साधना तो हमें माध्यम बना कर भगवान स्वयं कर रहे हैं। वे ही गुरु हैं जो हम से कभी पृथक नहीं हो सकते।
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ॐ तत्सत् !! ॐ गुरु !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
७ मार्च २०२३
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