पंचमुखी महादेव का रहस्य ---
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मुझे पंचमुखी महादेव पर कुछ लिखने की प्रेरणा भगवान से हो रही है, इसीलिए लिख रहा हूँ। इसे वे ही उन्नत साधक समझ पाएंगे, जो योगमार्ग की साधना करते हैं। योगमार्ग की उच्चतम साधना ही पंचमुखी महादेव के ध्यान द्वारा दर्शन, उनमें समर्पण और उनकी परमज्योति का भेदन है, जिसके पश्चात जीव स्वयं शिव हो जाता है। उसका कोई पृथक अस्तित्व नहीं रहता। सारे योगी पञ्चमुखी महादेव का ही ध्यान करते हैं।
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गुरु की आज्ञा से हम भ्रूमध्य में ध्यान करते हैं। ध्यान करते करते गुरुकृपा से एक दिन एक ब्रह्मज्योति ध्यान में प्रकट होती है, उसका रंग आरंभ में धुंधला सफेद होता है, जो कुछ महीनों पश्चात बहुत प्रखर गहरा चमकीला सफेद हो जाता है। वह ज्योति एक सफेद पञ्चकोणीय नक्षत्र में परिवर्तित हो जाती है जिसके चारों ओर एक नीला आवरण होता है। वह नीला आवरण - एक स्वर्णिम आवरण से घिरा रहता है। यह पञ्चकोणीय नक्षत्र ही अपने इन श्वेत, नीले और स्वर्णिम आवरणों के साथ -- पञ्चमुखी महादेव हैं, जो योगियों के आराध्य हैं। इनके ध्यान से स्वतः ही प्रणव का नाद सुनाई देने लगता है।
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यह स्वर्णिम आभा -- सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा जी की है। यह नीली आभा -- भगवान विष्णु जी की है, और यह चमकीले श्वेत पंचकोणीय श्वेत नक्षत्र -- स्वयं भगवान परमशिव हैं, जो पंचमुखी महादेव के रूप में दर्शन दे रहे हैं। ये ही मेरे आराध्य देव हैं, जिनका ध्यान मुझे निमित्त बनाकर निरंतर वे स्वयं कर रहे हैं। हर समय उन्हीं की चेतना में रहना ही मेरी उपासना है। उनके सिवाय मुझे कुछ भी अन्य का ज्ञान नहीं है।
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त्रिनेत्रधारी पञ्चमुखी महादेव के पांचों मुखों के नाम — सद्योजात, वामदेव, तत्पुरुष, अघोर और ईशान हैं, जिनसे पांच तत्वों -- जल, वायु, अग्नि, आकाश, और पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है। भगवान शिव के ये पांच मुख -- पंचतत्व हैं।
सद्योजात -- पृथ्वी-तत्व मूलाधार चक्र है। वामदेव -- जल-तत्व स्वाधिष्ठान चक्र है। अघोर -- अग्नि-तत्व मणिपुर चक्र है। तत्पुरुष -- वायु-तत्व अनाहत चक्र है। ईशान -- आकाश-तत्व विशुद्धि चक्र है।
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शास्त्रों में इन पांचों मुखों की आराधना के पृथक पृथक बीजमंत्र और मंत्र हैं, जिनका जप इनकी आराधना के लिए किया जाता है।
इनकी साधना की विधि और मंत्र जानने के लिए किन्हीं ब्रह्मनिष्ठ श्रौत्रीय आचार्य की शरण लेनी होगी। बड़ी विनम्रता से उनके श्रीचरणों में बैठकर उपदेश और आदेश लें। जितना मुझे बताने का आदेश मिला, उतना ही मैंने लिखा है।
भगवान परमशिव को नमन !!
महादेव महादेव महादेव !! ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
९ मार्च २०२३
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