Thursday 15 July 2021

वर्तमान परिस्थितियों में देश की एकमात्र समस्या है --- "सनातन धर्म" की रक्षा कैसे हो?" ---

 वर्तमान परिस्थितियों में देश की एकमात्र समस्या है --- "सनातन धर्म" की रक्षा कैसे हो?"

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इसके लिए सर्वप्रथम तो हमारे स्वयं के जीवन में सत्यनिष्ठा और परमात्मा की उपस्थिती हो, तभी हमारी प्रार्थना सुनी जायेगी, और तभी हमारा संकल्प साकार होगा। देश को तभी हम राष्ट्रविरोधियों के हाथों में जाने से बचा पायेंगे। अनेक संस्थाओं और व्यक्तियों ने इस कार्य हेतु अपनी कमर कस रखी है, और अपने-अपने हिसाब से कार्य कर रहे हैं।
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मेरी आस्था है कि आध्यात्मिक उपासना द्वारा हम एक ब्रहमशक्ति का प्राकट्य कर सकते हैं और भारत भूमि पर परमात्मा के अवतरण की भूमिका बना सकते हैं। मेरी यह सोच निज हृदय में परमात्मा और स्वधर्म के प्रति परमप्रेम के कारण है। एक गहन अभीप्सा भी है परमात्मा के साक्षात्कार की, और मेरा हृदय भी भक्ति से भरा पड़ा है। भगवान मुझे कभी भी निराश नहीं करेंगे। राष्ट्र की अस्मिता पर जब मर्मांतक प्रहार हो रहे हैं, तब धर्म और राष्ट्र की रक्षा करना हमारा सर्वोपरी दायित्व है। ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
६ मई २०२१

2 comments:

  1. यदि भारत एक हिन्दू राष्ट्र बनता है तो इस बात की पूरी संभावना है कि अगले बीस-तीस वर्षों में लगभग पूरा प्रबुद्ध पश्चिमी यूरोप, ईसाई रिलीजन को छोड़कर सनातन (हिन्दू) धर्म को अपना लेगा। पूर्वी यूरोप में यह अब तक हो जाता, लेकिन पुराने मार्क्सवादी प्रभाव ने इसे रोक रखा है। यूरोप में ईसाई रिलीजन हासिए पर आ चुका है, वहाँ के लोगों की आस्था ईसाईयत से समाप्त हो चुकी है। यही स्थिति धीरे-धीरे दोनों अमेरिकी महाद्वीपों में भी हो जायेगी। बीस वर्ष बाद संस्कृत भाषा भी पूरे विश्व में अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाएगी, क्योंकि कम्प्यूटरों के लिए यह सर्वश्रेष्ठ भाषा है। भारत का हिन्दू राष्ट्र बनना बहुत ही आवश्यक है।
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    जिस दिन वर्तमान आधुनिक विज्ञान यह मान लेगा कि आत्मा शाश्वत है, पुनर्जन्म और कर्मफलों के सिद्धान्त सत्य हैं, उस दिन से सनातन धर्म का वैश्वीकरण होने लगेगा। मेरी तो अभी भी यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति आत्मा की शाश्वतता, पुनर्जन्म, कर्मफलों, व ईश्वर के अवतारों को मानता है, वह हिन्दू है, चाहे वह पृथ्वी के किसी भी स्थान पर रहता है।
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    मेरा यह विचारपूर्वक किया हुआ संकल्प, और ईश्वर से प्रार्थना है कि भारत माँ अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बिराजमान हों, और भारत में छाया असत्य का अंधकार दूर हो। ॐ तत्सत् !!
    कृपा शंकर
    ८ मई २०२१

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  2. कोई माने या न माने, लेकिन यह परम सत्य है कि --- भारत में निश्चित रूप से धर्म की पुनर्स्थापना व वैश्वीकरण होगा, और अधर्म का नाश होगा। दुष्ट प्रकृति के लोगों का विनाश और सज्जनों की रक्षा होगी। भारत का सत्य व धर्मनिष्ठ अखंड आध्यात्मिक राष्ट्र बनना भी तय है। सनातन धर्म ही यहाँ की राजनीति होगी। असत्य और अंधकार की शक्तियों का पराभव होगा। हमारे जीवन में चाहे कितने भी अभाव और छिद्र हों, उनकी पूर्ति परमात्मा करेंगे।
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    भगवान की पूर्ण कृपा होगी, अवश्य होगी, लेकिन यह तभी होगी जब हम अपने सारे राग-द्वेष, लोभ-अहंकार, व दंभ का उन्हें पूर्ण समर्पण कर देंगे। भगवान को भी हमारी -- सत्यनिष्ठा, स्थितप्रज्ञता, वीतरागता, और परमप्रेम -- अच्छे लगते हैं। ये गुण जिनमें हैं, वे इस पृथ्वी पर चलते-फिरते देवता है। पृथ्वी इनको पाकर सनाथ है, जहाँ भी इनके पैर पड़ते हैं, वह भूमि पवित्र और धन्य हो जाती है। ऐसे लोगों की सात पीढ़ियाँ स्वतः ही मुक्त हो जाती हैं।
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    जिनमें छल, झूठ, कपट, और दंभ भरा पड़ा है वे कालनेमी इस पृथ्वी पर नर-पिशाच और राक्षस हैं। उन के दर्शन हो जाना भी पाप है। भगवान ऐसे दुष्ट असुरों से हमारी रक्षा करें। दुष्ट प्रकृति के लोग स्वयम् तो नर्कगामी होते ही हैं, अपनी सात पीढ़ियों व कुल को भी नर्क में ले जाते हैं।
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    जहाँ पर भगवान हैं, वहाँ पर कोई अभाव और छिद्र नहीं रह सकता, पूर्णता ही पूर्णता होगी। भगवान की पसंद ही हमारी पसंद होनी चाहिए। अब और विलंब न करें। अलंकारिक शब्दजाल में न फँसें। भगवान की परम कृपा हमारी रक्षा कर सकती है, अन्यथा यह असंभव है। पात्रता होने पर भगवान स्वयं अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं।
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    ॐ तत्सत् !!
    कृपा शंकर
    २५ मई २०२१

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