Thursday 15 July 2021

"परमात्मा से पृथकता" हमारे सारे दुःखों का एकमात्र कारण है ---

 "परमात्मा से पृथकता" हमारे सारे दुःखों का एकमात्र कारण है ---

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हमारे दुःखों का एकमात्र कारण "परमात्मा से पृथकता" है, अन्य कोई कारण नहीं है। हमारे चारों और जो घटनाक्रम घटित होता है, उस से क्षोभ और क्रोध आना स्वाभाविक है, पर हमें स्वयं पर नियंत्रण रखते हुए किसी भी प्रकार की उग्र प्रतिक्रया से बचना चाहिए। क्रोध आने से मस्तिष्क और शरीर को बहुत अधिक हानि होती है। क्रोध से मनुष्य के मस्तिष्क की कई कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं जिनका पुनर्निर्माण नहीं होता। साथ साथ यह उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदयरोगों को भी जन्म देता है। मनुष्य का विवेक भी क्रोध से नष्ट होने लगता है। अतः क्रोध पर नियंत्रण करने का अभ्यास हमें करना चाहिए। क्रोध -- नर्क का द्वार है। हमारे जीवन में असंतोष, पीड़ा और दुःख है, इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारे जीवन में किसी न किसी तरह की कोई कमी है। वह कमी सिर्फ परमात्मा की उपस्थिती का अभाव है, और कुछ नहीं। नित्य नियमित ध्यान साधना करें। सभी को शुभ कामनाएँ और नमन !!
कृपा शंकर
२ मई २०२१

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