Tuesday 19 June 2018

माँ को तो सब कुछ करना ही पड़ेगा .....

माँ को तो सब कुछ करना ही पड़ेगा .....
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माँ अपनी ममता से बाध्य है, उसे अपने शिशु को दूध पिलाना ही पड़ता है| शिशु को दूध न मिलने की पीड़ा माँ से सहन नहीं होती| अपने शिशु को दूध न पिलाने पर माँ के स्तनों में घाव हो जाते हैं, माँ ऐसी स्थिति कभी सहन नहीं कर सकती| शिशु असमर्थ है तो भी माँ कैसे भी उसे दूध पिलाती ही है| बालक अपनी माँ की गोद में निर्भय है| माँ बालक को अभय प्रदान करती है, उसके लिए वह अभयंकरी है| कोई बालक को हानि पहुंचाता है तो माँ उसके लिए भयंकरी और विकराल हो जाती है|
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यह तो हुई संसारी माँ की बात, पर हमारी उस से भी बड़ी एक माँ और भी है, वह है जगन्माता जो सारी सृष्टि की माँ है| वह इस बालक को ज्ञान रूपी दुग्ध पिलाना चाहती है, पर इस बालक की असमर्थता से वे पीड़ित है| यह बालक तो माँ की गोद में निश्चिन्त और निर्भय है क्योंकि माँ ने इसके योग-क्षेम और परम कल्याण का दायित्व अपने ऊपर ले लिया है| इसे कोई चिंता नहीं है, चिंता तो माँ को है| अब माँ को ही सब कुछ करना होगा क्योंकि यह बालक तो असमर्थ है| परम करुणामयी माँ कैसे भी इसे जीव से शिव बनाकर ही दम लेगी|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१८ जून २०१८
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अन्नपूर्णा स्तोत्र :--
नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी
निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी।
प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥१॥
नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी
मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी।
काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥२॥
योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी
चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी।
सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥३॥
कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी।
मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥४॥
दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी
लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी।
श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥५॥
उर्वीसर्वजनेश्वरी भगवती मातान्नपूर्णेश्वरी
वेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी।
सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥६॥
आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी
काश्मीरात्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी।
कामाकाङ्क्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥७॥
देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी
वामं स्वादुपयोधरप्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी।
भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥८॥
चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी
चन्द्रार्काग्निसमानकुन्तलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी।
मालापुस्तकपाशासाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥९॥
क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी
साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरश्रीधरी।
दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥१०॥
अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे।
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति॥११॥
माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः।
बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्॥१२॥
श्री शङ्कराचार्य कृतं!

3 comments:

  1. माँ तो उस चन्द्रकला से माँ हैं । चन्द्रकला का संबन्ध मस्तक से हटते ही "माँ " , - "मा" हो गई मा अर्थात् नहीं ( नो , नॉट ) हो गई । अपना काम तो रोने का है , रोओगे नहीं तो कैसे पिलाएगी । लेकिन रोने का बहाना मत बनाना । = सर्वज्ञ शंकरेन्द्र

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  2. साभार श्री Rajendra Nath Pandeya .....
    ओं यस्ते स्तन: शशयोर्मयोभूर्यो रत्नधा वसुविद्य: सुदत्र:।
    येन विश्वा पुष्यति वार्याणि सरस्वति धातवेऽक:।
    उर्वंतरिक्षमन्वेमि।
    यजुर्वेद ३८/५

    इसी मंत्र का प्रयोग बृहदारण्यक उपनिषद् (शतपथ ब्राह्मण का अंतिम अध्याय) के अंतिम अध्याय में पुत्र मंथकर्म प्रक्रिया में स्तनपान कराने में किया गया है।
    आपके विश्लेषण को साधुवाद।
    मानों समस्त प्रत्यक्ष प्रकृति अव्यक्त परमशक्ति का स्तन ही है ।हम सब प्राणी उसका पान कर रहे हैं।
    उस परांबा जगदंबा अन्नपूर्णा की साक्षात् कृपा।

    ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं
    भिक्षां देहि च पार्वति

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  3. साभार श्री Rajendra Nath Pandeya .....
    तव स्तन्यं मन्ये धरणीधरकन्ये हृदयत:
    पय: पारावार:परिवहति सारस्वत इति

    दयावत्या दत्तं द्रविड़शिशुरास्वाद्य तव यत्

    कवीनां प्रौढ़ानामजनि कमनीया कवयिता ।।
    सौंदर्य लहरी
    आदि शंकराचार्य

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