Tuesday 19 June 2018

बदलता हुआ युग .....

बदलता हुआ युग .....
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वर्तमान युग एक तरह की सूचना प्रोद्योगिकी का युग है| कोई भी रहस्य अब रहस्य नहीं रहा है| पहले घर से कुछ किलोमीटर दूर ही क्या होता था इसका पता लगने में कई दिन लग जाते थे, पर अब विश्व के किस कोने में क्या हो रहा है, तुरंत पता लग जाता है|
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किशोरावस्था तक मुझे भारत के भूगोल का ही ज्ञान नहीं था| पर युवावस्था आते आते पूरी पृथ्वी का भूगोल व सारा राजनीतिक मानचित्र दिमाग में आ गया| दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव तक का सारा विश्व .... यानि कौन सा देश कहाँ है, धरती के किस भाग में किस समय कैसी जलवायु है, कहाँ कैसा जीवन है, कहाँ कैसी भौगोलिक व सामाजिक परिस्थितियाँ हैं, आदि आदि, व विगत कुछ सौ वर्षों तक का विश्व का सारा महत्वपूर्ण इतिहास अवगत हो गया| भारत में अंग्रेजों के मानसपुत्रों व मार्क्सवादियों द्वारा लिखा गया भारत का सारा इतिहास प्रायः झूठा और दुराग्रहग्रस्त है, वही हम ने पढ़ा था| पर अब वास्तविकता का पता लगने लगा है| ऐसे ही विश्व के सभी प्रमुख धर्मों व भारत के आध्यात्म का भी तुलनात्मक थोड़ा-बहुत ज्ञान ईश्वर की कृपा से हुआ| विश्व के प्रायः हर भाग के अनेक देशों में जाने का अवसर मिला और चिंतनधारा यानि सारी सोच ही बदल गयी|
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अंततः मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि सारी सृष्टि ईश्वर के मन की एक कल्पना मात्र है| संसार में सुख की खोज ही दुःख का कारण है| हमारी सारी पीड़ाओं व विषमताओं का कारण परमात्मा से हमारी दूरी है| हम परमात्मा का ध्यान करते हैं यह सबसे बड़ी सेवा है जो हम समष्टि की कर सकते हैं| मनुष्य जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य आत्मज्ञान है| आत्मज्ञान ही ईश्वर की प्राप्ति है| यही मेरा जीवन के सारे अनुभवों का निचोड़ है| मनुष्य को हर कार्य अपने विवेक के प्रकाश में करना चाहिए| किसी भी तरह का दुराग्रह नहीं होना चाहिए| पर यह मेरा अनुभव है जो मेरे ही काम का है| सभी को ध्यान की गहराइयों में जाकर परमात्मा का निजी अनुभव लेना चाहिए|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१८ जून २०१८

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