गुरू
अर्जुन देव (१५ अप्रेल १५६३ -- ३० मई १६०६) एक ब्रह्मज्ञानी महापुरुष थे|
उनकी सबसे बड़ी देन गुरुग्रंथ साहिब में ३६ महान संतों की वाणियों का संकलन
है| ये वाणियाँ तीस रागों में हैं जिनका संकलन रागों के हिसाब से किया गया
है| सर्वाधिक वाणी उन्हीं की है| यह उनकी महान विद्वता और अंतर्ज्ञान को
दिखाता है|
उनका जीवन परम त्यागमय आदर्श से भरपूर है जिसका अध्ययन सभी को करना चाहिए| गुरु नानकदेव जी से गुरु गोविन्दसिंह जी तक से सभी दसों गुरुओं की जीवनी का अध्ययन मैनें कई बार किया है जिस से जीवन में बहुत प्रेरणा मिली है| सभी गुरुओं को नमन !
आज अनायास ही गुरु अर्जुन देव जी से सम्बंधित एक लेख पढने के बाद ये पंक्तियाँ स्वतः ही लिखी गईं| सभी गुरुओं की जय हो !
उनका जीवन परम त्यागमय आदर्श से भरपूर है जिसका अध्ययन सभी को करना चाहिए| गुरु नानकदेव जी से गुरु गोविन्दसिंह जी तक से सभी दसों गुरुओं की जीवनी का अध्ययन मैनें कई बार किया है जिस से जीवन में बहुत प्रेरणा मिली है| सभी गुरुओं को नमन !
आज अनायास ही गुरु अर्जुन देव जी से सम्बंधित एक लेख पढने के बाद ये पंक्तियाँ स्वतः ही लिखी गईं| सभी गुरुओं की जय हो !
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