Friday, 7 January 2022

यह सृष्टि नटराज का एक नृत्य मात्र है ---

 यह सृष्टि नटराज का एक नृत्य मात्र है ---

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गहराई से चिंतन किया जाए तो यह सृष्टि नटराज का एक नृत्य मात्र ही है जिसमें निरंतर ऊर्जा खण्डों और अणुओं का विखंडन और सृजन हो रहा है। जो बिंदु है वह प्रवाह बन जाता है, और प्रवाह बिंदु बन जाता है। ऊर्जा कणों की बौछार और निरंतर प्रवाह समस्त भौतिक सृष्टि का निर्माण कर रहे हैं। इन सब के पीछे एक परम चैतन्य है, और उसके भी पीछे एक विचार है। समस्त सृष्टि परमात्मा के मन का एक स्वप्न या विचार मात्र है। वह परम चेतना परमशिव हैं और नित्य नवीन सृष्टि का विखंडन और सृजन नटराज का नृत्य है।
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हमारे विचार ही घनीभूत होकर सृष्ट हो रहे हैं, क्योंकि हम परमात्मा के अंश हैं। हम सब के विचार ही इस सृष्टि का निर्माण कर रहे हैं। जैसे हमारे विचार होंगे वैसी ही यह सृष्टि होगी। यह सृष्टि जितनी विराट है, उतनी ही सूक्ष्म है। हर अणु अपने आप में एक ब्रह्मांड है। हम कुछ भी संकल्प या विचार करते हैं, उसका प्रभाव सृष्टि पर पड़े बिना नहीं रह सकता। इसलिए हमारा हर संकल्प शिव संकल्प हो, और हर विचार शुभ विचार हो।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
७ जनवरी २०२२

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