Friday 7 January 2022

धन्य हैं वे सब, जिनका भार स्वयं भगवान उठा लेते हैं ---

धन्य हैं वे सब, जिनका भार स्वयं भगवान उठा लेते हैं ---
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यह सर्दियों का मौसम भगवान की उपासना केलिए सर्वश्रेष्ठ है। प्रकृति भी शांत है, न तो पंखा चलाना पड़ता है, ओर न कूलर; अतः उनकी आवाज़ नहीं होती। कोई व्यवधान नहीं है। प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही प्रकृति में जो सन्नाटे की आवाज सुनाई देती है, उसी को आधार बनाकर भगवान के नाम को मानसिक रूप से जपते रहो। जैसे एक अबोध बालक अपनी माँ की गोद में बैठकर स्वयं को सुरक्षित अनुभूत करता है, वैसे ही अपने भाव-जगत में, परमात्मा की गोद में बैठकर एक निमित्त मात्र बन कर उपासना करो। सारा श्रेय और सारा फल भगवान को अर्पित कर दो।
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हमें कुछ नहीं करना है। जो करना है, वह भगवान ही करेंगे। रात्री को भगवान की गोद में ही सोएँ, और प्रातःकाल उन्हीं की गोद से उठें। सारे दिन यही भाव रखें कि सारा कार्य हमारे माध्यम से भगवान स्वयं कर रहे हैं। इन आँखों से वे ही देख रहे हैं, कानों से वे ही सुन रहे हैं, इन हाथों से वे ही कार्य कर रहे हैं, और इन पैरों से वे ही चल रहे हैं, इस हृदय में वे ही धड़क रहे हैं, और इन नासिकाओं से वे ही सांसें ले रहे हैं। भगवान अपनी सारी सृष्टि का संचालन कर रहे हैं, वे जब हमारा भार उठा लेंगे तो हमें और क्या चाहिए?
आप सब में भगवान को नमन !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
७ जनवरी २०२२
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यह सर्दियों का मौसम भगवान की उपासना केलिए सर्वश्रेष्ठ है। प्रकृति भी शांत है, न तो पंखा चलाना पड़ता है, ओर न कूलर; अतः उनकी आवाज़ नहीं होती। कोई व्यवधान नहीं है। प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही प्रकृति में जो सन्नाटे की आवाज सुनाई देती है, उसी को आधार बनाकर भगवान के नाम को मानसिक रूप से जपते रहो। जैसे एक अबोध बालक अपनी माँ की गोद में बैठकर स्वयं को सुरक्षित अनुभूत करता है, वैसे ही अपने भाव-जगत में, परमात्मा की गोद में बैठकर एक निमित्त मात्र बन कर उपासना करो। सारा श्रेय और सारा फल भगवान को अर्पित कर दो।
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हमें कुछ नहीं करना है। जो करना है, वह भगवान ही करेंगे। रात्री को भगवान की गोद में ही सोएँ, और प्रातःकाल उन्हीं की गोद से उठें। सारे दिन यही भाव रखें कि सारा कार्य हमारे माध्यम से भगवान स्वयं कर रहे हैं। इन आँखों से वे ही देख रहे हैं, कानों से वे ही सुन रहे हैं, इन हाथों से वे ही कार्य कर रहे हैं, और इन पैरों से वे ही चल रहे हैं, इस हृदय में वे ही धड़क रहे हैं, और इन नासिकाओं से वे ही सांसें ले रहे हैं। भगवान अपनी सारी सृष्टि का संचालन कर रहे हैं, वे जब हमारा भार उठा लेंगे तो हमें और क्या चाहिए?
आप सब में भगवान को नमन !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
७ जनवरी २०२२

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